आईपीएस से राजनेता बने असीम अरुण (Asim Arun) जिन्होंने कन्नौज सदर सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके सपा के अनिल दोहरे को इस बार चुनाव में पराजित कर दिया,लेकिन जीत हासिल करने के बाद समर्थकों के जश्न के बीच सीधे पराजित प्रत्याशी अनिल दोहरे के घर जा पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अनिल दोहरे का आशीर्वाद लिया बल्कि ट्वीटर पर यह स्वीकारोक्ति भी की कि उनके जैसे नेता से लड़ना आसान नहीं था। आपको बता दें की सियासत में बढ़ती कटुता, राजनीति के गिरते स्तर की बातें बहुत करते हैं लेकिन इसी माहौल में जब अच्छे संस्कारों की कहीं कोई कोपल फूटती है तो मन गदगद हो जाता है।
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Asim Arun – असीम अरुण ने ट्वीटर पर लिखा- ‘आदरणीय बड़े भाई अनिल दोहरे जी से उनके घर पर आशीर्वाद प्राप्त किया। अनिल भाई के विरुद्ध चुनाव में प्रतिभाग करना बहुत कठिन कार्य था। आपका पंद्रह वर्षों का विस्तृत अनुभव रहा है एवं साथ मिलकर विकास कार्य करने पर सहमति बनी।’ असीम की इस तस्वीर और ट्वीटर पर तीन लाइन के उनकी पोस्ट की सोशल मीडिया में खूब तारीफ हो रही है। लोग इसे आज के दौर की राजनीति में बड़ी मिसाल बता रहे हैं।
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सपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली कन्नौज सदर सीट पर असीम अरुण की जीत 6090 वोटों से हुई है। सदर सीट पर पिछले सात चुनाव से बनवारी लाल दोहरे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। शुरू के तीन चुनाव में 1991, 1993 और 1996 में वह कामयाब हुए थे। उसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 में उन्हें लगातार चार बार शिकस्त मिली थी। मोदी लहर में भी वह बेहद नजदीकी मुकाबले में हार गए थे। इस बार भाजपा ने असीम अरुण को उतारा था। इस बार भाजपा का जादू चल गया। भाजपा ने इस सीट पर कामयाबी के लिए जो पत्ता चला, उसके आगे सपा पस्त पड़ गई। इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके सपा के अनिल दोहरे को घेरने के लिए भाजपा ने आईपीएस अफसर और कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर असीम अरुण को मैदान में उतारा।पिछले चुनाव में मोदी लहर में भी भाजपा जिस सीट को नहीं जीत सकी थी, इस बार कड़े मुकाबले में यह सीट सपा से झटकने में कामयाबी मिल गई।