Asaduddin Owaisi 2022 UP: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर और ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की सियासी गलबहियां प्रदेश खासतौर पर पूर्वांचल में क्या असर डालेंगे ? किस सियासी दल को नफा नुकसान होगा ? यह तो वक्त की गर्त में छिपा है, लेकिन जिस जोश से दोनों ने प्रदेश में दौरे शुरू किए हैं यह नि:संदेह प्रदेश के 2 बड़े दलों समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता की बात है कहना गलत नहीं होगा कि उनसे होने वाले नुकसान लिए दोनों ही दलों को जवाबी रणनीति बनानी पड़े तो हैरत नहीं
ओवैसी और ओमप्रकाश ने मंगलवार को पूर्वांचल का दौरा शुरू किया है। वे आजमगढ़, जौनपुर और वाराणसी गए। दोनों ने ही आम आदमी पार्टी के साथ ही अन्य छोटे दलों जैसे शिवपाल सिंह यादव के प्रसपा और कृष्णा पटेल के दल को साथ लेने की तैयारी की है। वहीं पीस पार्टी ने फिलहाल अलग और अकेले मैदान में उतरने की बात कही है। फिर भी छोटे दलों की सक्रियता से प्रदेश की सियासत में अच्छी हिस्सेदारी रखने वाली दो दलों समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती पैदा कर सकती हैं।
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पूर्वांचल की अन्य पिछड़ी जातियों में लगती है सेंध
Asaduddin Owaisi 2022 UP: भाजपा की बात करें तो भले ही पार्टी के बड़े नेता इस मुद्दे पर कुछ कहने से कतराते रहे हैं लेकिन उन्हें इसका भली-भांति भान है। कि राजभर के जातीय समीकरण से उन्हें वर्ष 2017 के चुनाव में लाभ हुआ था। यह कहना गलत नहीं होगा कि ओमप्रकाश एक दर्जन सीटों पर, जहां अन्य पिछड़ी जातियों जैसे बिंद, कुशवाहा, लोनिया, चौहान आदि तादाद में हैं, जहां राजभर असर रखते हैं। वर्ष 2017 से पहले वह कौमी एकता दल के साथ चुनाव लड़ते रहे और उनकी पार्टी अच्छे वोट हासिल करती रही है। इसी अहमियत के मद्देनजर पार्टी ने 2017 में चुनाव से पहले ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन किया। यह बात दीगर है कि भाजपा से गठजोड़ करने से पहले उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य विधानसभा नहीं पहुंच सका। भाजपा के पूर्व नेता कहते हैं कि पूर्वांचल में अन्य पिछड़ों के जातीय समीकरण का अपना महत्व है।अन्य पिछड़ों की यह जाति जिस दल के साथ रही उसे सियासी लाभ हुआ है। 2017 से पहले सपा इन जातियों के सहारे सत्तासीन होती रही। भाजपा की सक्रियता से भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।