इस्लाम में चार शादियों को जायज ठहराया गया है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं ताकि महिलाओं के अधिकारों पर चोट न पहुंचे. जहां एक मुस्लिम व्यक्ति अधिकतम चार पत्नियां (rule of polygamy in shariat) रख सकता है, लेकिन दावा किया गया है कि इस तरह के केस को हमेशा अपवाद के तौर पर देखा गया है. इस्लामिक देशों में चार शादियों के संबंध में बीवियों के साथ समानता की बात कही गई.
कई मुस्लिम देशों में दूसरी शादी के लिए पहली पत्नी की अनुमति और कानूनी प्रक्रिया जरूरी की गई है. शरीयत कहती है कि यदि सभी पत्नियों के अधिकारों का पालन न कर सकें, तो केवल एक ही पत्नी रखनी चाहिए. अगर किसी मुस्लिम शख्स ने चार शादियां की हैं और उनमें से किसी बीवी का इंतकाल हो गया है या फिर तलाक हो गया तो क्या वह शख्स पांचवीं शादी कर सकता है?
rule of polygamy in shariat – जामिया हमदर्द यूनीवर्सिटी के इस्लामिक स्टटीड में असिस्टेंट प्रोफेसर वारिश मजहरी ने कहा कि समाज में इस तरह की चीज अपवाद के तौर पर रखी गई. पूरी दुनिया में समाज दर समाज चीजें बदलती रहती हैं. अरब के देशों में इस संस्कृति को अनुचित नहीं समझा जाता है. वह एक से दो, दो से चार शादियां करते रहते हैं, लेकिन एक से दो और दो से तीन शादियां करना एक आम बात नहीं है. इस तरह के अपवाद ही सामने आते हैं. उदाहरण के तौर पहली बीवी से बच्चा नहीं हो रहा है तो उसे दूसरी या तीसरी करनी पड़ती है.