भाजपा को लगा झटका : बलिया में समाजवादी पार्टी का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी अभियान के तहत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर जिलाध्यक्ष राजमंगल यादव ने आज पार्टी के जिला कार्यालय पर पार्टी के लोकसभा प्रभारी सनातन पांडेय की उपस्थिति में अजित मिश्र को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराकर पार्टी में शामिल किया। अजीत मिश्रा अपने साथियों के साथ भाजपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए है। पार्टी कार्यालय पर पहुंचने पर अजित मिश्र को 51 किग्रा की माला पहनाकर स्वागत किया गया ।

इस स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष राजमंगल यादव ने कहा कि श्री मिश्र अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत से ही छात्रों,किसानों,मजदूरों,मजलुमो, दलितो की आवाज बनकर इनके लिये संघर्ष करते रहे है, सपा में इनके शामिल होने से सपा पार्टी के अभियान को और बलमिलेगा। समाजवादी पार्टी और अजित मिश्र दोनों मिलकर दलितो,मजलुमो,नौजवानों,किसानों की आवाज बनकर और मजबूती के साथ लड़ेंगे ।

भाजपा को लगा झटका : लोकसभा प्रभारी व वरिष्ठ नेता सनातन पांडेय ने कहा कि अजित मिश्र जैसे ऊर्जावान नौजवान के पार्टी में शामिल होने से यह सिद्ध हो गया कि नौजवानों को अगर कोई पार्टी सम्मान देती है तो वह समाजवादी पार्टी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव है।अपने सम्मान से उत्साहित अजित मिश्र ने कहा कि जिस तरह से समाजवादी पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओं ने आत्मीयता के साथ स्वागत किया है, इससे लगता है कि मैं इन लोगो के घर परिवार का ही अंग हूं, जबकि भाजपा मे मुझे इस तरह की आत्मीयता कभी दिखी ही नहीं।
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इधर चानव का असर मायावती पर भी दिखने लगा है.. मायावती ने पूर्व विधायक रमेश चंद्र गौतम व मसूद आलम खां को पार्टी में अनुशासनहीनता करने व पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण उन्हें बसपा से निकाल दिया गया है। इसकी पुष्टि बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार कनौजिया ने की है।

रमेश चंद्र गौतम तरबगंज से वर्ष 2007 में बसपा से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वह 2012 व 2017 में मनकापुर विधान सभा सीट से बसपा से चुनाव लड़े। इतना ही नहीं, बहराइच के बलहा विधान सभा सीट पर वर्ष 2019 में हुए उपचुनाव में बसपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। रमेश गौतम ने बताया कि वह वर्ष 1989 से बसपा कार्यकर्ता हैं। 12 साल वह बसपा के जिलाध्यक्ष रहे। इसके अलावा कई मंडलों के जोनल कोऑर्डिनेटर का दायित्व बसपा में उन्हें मिला था। रमेश गौतम ने बताया कि बसपा से निष्कासित किया जाना राजनीतिक षड्यंत्र है। वह बसपा के वफादार थे और यदि बहनजी ने चाहा तो रहेंगे भी। बहनजी ने जो आदेश दिया है उसका पालन होगा।

भाजपा को लगा झटका : वहीं मसूद आलम वर्ष 2012 व 2017 में कटरा विधान सभा से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में वह बसपा से गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन, बाद में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। हाल में ही मसूद ने किसानों के पक्ष में उपवास किया था। मसूद आलम का कहना है कि उन्होंने जनता व किसान की बात की थी। उसी की सजा उन्हें मिली है। बसपा जिलाध्यक्ष मनोज कुमार कनौजिया ने बताया कि इन दोनों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर कई बार चेतावनी दी गई थी लेकिन, इनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया था। इसीलिए पार्टी हाईकमान ने दोनों को बसपा से निष्कासित कर दिया है।