हिमाचल में बर्ड फ्लू: राजस्थान और मध्यप्रदेश के बाद हिमाचल प्रदेश में भी बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ गया है। हिमांचल के पोंग डैम अभ्यारण में पिछले 1 सप्ताह में 1000 से ज्यादा प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। इनमें से अधिकांश पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षी हैं। पोंग वेटलैंड्स की मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव उपासना पटियाल ने शनिवार को कहा कि मौत के कारणों का पता लगाने के लिए मृत पक्षियों के नमूने लिए गए हैं इन्हें बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, जालंधर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला और देहरादून के वन्यजीव संस्थान में जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट का इंतजार है
राजस्थान के जोधपुर झालावाड़ सहित पांच जिलों तथा मध्य प्रदेश के इंदौर में कौवा, मोर अन्य पक्षियों की मौत हुई है यह वर्ल्ड फ्लू से होने की पुष्टि हो चुकी है।
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झालावाड़ में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद शनिवार को पहली बार कोटा और पाली में भी कौवों की मौत हुई है। अब यह 5 जिलों में फैल चुका है शनिवार को बारां में 19, झालावाड़ में 15 और कोटा के रामगंजमंडी में 22 और कौवों की मौत हुई है।कोटा संभाग के इन्हीं तीन जिलों में अब तक 177 कौवों की मौत हो चुकी। वहीं अब तक कुल 337 कौवोंकी मौत हो चुकी है।
केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट जारी किया
हिमाचल में बर्ड फ्लू: सर्दी के मौसम में हर साल बर्ड फ्लू के मामले सामने आते हैं लिहाजा केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से बीती 22 अक्टूबर को ही सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा निर्देश जारी किया जा चुका है इसमें कहा गया है कि पक्षियों की अचानक मौत या बीमार होने पर तुरंत उनके नमूने जांच के लिए भेजा जाए ताकि किसी तरह के वायरस होने पर इसकी जानकारी मिल सके सीमावर्ती इलाकों में विशेष तौर पर निगरानी रखी जाए वहां से प्रवासी पक्षियों की आने की संभावना ज्यादा होती है।
मुर्गियों में वायरस फैला तो सबसे बड़ा खतरा
यदि मुर्गियों में बर्ड फ्लू का वायरस पाया गया तो यह सबसे बड़ा खतरा होगा क्योंकि मुर्गियों से इंसानों में वायरस फैलने की सबसे अधिक संभावना है इसके अलावा शीतकालीन प्रवास के लिए हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी प्रदेश में आए हैं इनमें भी वायरस का डर सताने लगा है सांभर झील त्रासदी के समय भी सबसे अधिक विदेशी पक्षी की भेंट चढ़े थे।