श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव व विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा है कि मकर संक्रांति के दिन रामलला मंदिर की नींव का निर्माण शुरू हो जाएगा। दिसंबर 2023 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
शुक्रवार को इंग्लिश या लाइन स्थित विहिप कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने बताया कि नियम की मजबूती के लिए मंथन किया जा रहा है। इसमें आईआईटी मुंबई,गुवाहाटी,चेन्नई रुड़की, एनआईटी सूरत टाटा एंड एलटी के विशेषज्ञ शामिल है। मंदिर की सुरक्षा को कई पहलुओं से परखा जा रहा है भगवान राम का गर्भ ग्रह जहां बनना है उसके नीचे की भूमि भुरभुरी बालुई मिट्टी है। इसको ध्यान में रखते हुए पत्थर कंक्रीट और तांबे का ही इस्तेमाल किया जाएगा। 5 एकड़ में मंदिर का परकोटा होगा और बांकी क्षेत्र में भी निर्माण का खाका तैयार हो चुका है।
धन संग्रह अभियान चलाया जाएगा
महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान चलाया जाएगा मकर संक्रांति से माघी पूर्णिमा तक चलने वाला धन संग्रह कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक एवं सांस्कृतिक अभियान होगा। मंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे, धन संग्रह अभियान के तहत 11 करोड़ घरों से संपर्क करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए आर्थिक और उसके अनुषंगिक संगठनों के तीन से चार लाख निष्ठावान कार्यकर्ताओं की टीम को लगाया जाएगा। अभियान पूरे विश्व में चलेगा दूसरे धर्म के लोग आते आगे आते हैं, तो उनका भी सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक दूसरे धर्म के व्यक्ति ने मंदिर निर्माण के लिए ₹ 2लाख भी दिए हैं।
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काशी प्रांत के 16 हजार गांव में जाएंगे कार्यकर्ता
चंपत राय ने कहा कि काशी प्रांत के अंतर्गत 16 हजार गांवों के 50 लाख परिवारों में कार्यकर्ता जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए तीन-तीन कार्यकर्ताओं की टीम बनाई जाएगी, जो अपने अपने गांव मोहल्ले के लोगों के घर जाएंगे और राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग मांगेंगे। इसके लिए ₹10 से लेकर ₹100 और हजार रुपए के कूपन तैयार किए जाएंगे इससे ज्यादा दान देने वालों को रशीद काट कर दी जाएगीष
32 सीढ़ियां चढ़कर होगा रामलला का दर्शन
चंपत राय ने बताया कि मंदिर का आकार बड़ा होगा। मंदिर 360 फीट लंबा 235 फीट चौड़ा होगा और शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। रामलला के मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को 32 सीढ़ियां चढ़नी होंगी।जमीन से मंदिर की ऊंचाई साढ़े 16 फीट रखी गई हैष बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए अलग से इंतजाम किए जाएंगे।