नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट(Budget) की तैयारी शुरू हो गई है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। लोकसभा चुनाव से पहले का ये अंतरिम बजट काफी अहम होने वाला है। मध्यम वर्गीय परिवार, किसान, महिला समेत अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का नज़र इस बजट पर रहेगी।
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1999 तक फरवरी के अंत में होता था पेश
लेकिन इस वीडियो में हम आपको बताएंगे आखिर क्यों बजट को फरवरी के पहले तारीख को पेश किया जाता है? साल 1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिनों में शाम 5 बजे पेश होता रहा। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में समय को बदलकर 11 बजे कर दिया गया। लेकिन तारीख वही रही। फिर साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख बदल कर 1 फरवरी कर दिया था। अरुण जेटली ने इस फैसले को औपनिवेशिक युग का अंत बताया था। क्योंकि आज़ादी के बाद भी भारत अंग्रेज़ो के द्वारा बनाये नियमों के तहत बजट पेश करती रही।
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अप्रैल तक लागू करने में नहीं होती दिक्कत
हालांकि, बजट पेश करने की तारीख को बदलने के पीछे अन्य कारण भी थे। दरअसल, जब फरवरी महीने के अंत में बजट पेश किया जाता था तब अप्रैल तक उसे लागू करने में दिक्कत होती थी। इस वजह से यूनियन बजट की तारीख को बदला गया। जब कोई नियम या योजना लागू की जाती है तो उसे संसद में पेश किया जाता है। संसद से अप्रूव होने के बाद राष्ट्रपति के अनुमति के बाद ही उसे लागू किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। बजट पेश करने के तारीख में बदलाव के अलावा अरुण जेटली ने एक और बड़ा फैसला किया।
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1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट
सरकार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी। यानी ये पूरे साल के लिए बजट नही होगा। गौरतलब है कि आम चुनावों के बाद नई सरकार जून के आसपास बनने की संभावना है। ऐसे में नई सरकार जुलाई में 2024-25 के लिए पूर्ण बजट लेकर आएगी। आम तौर पर, अंतरिम बजट में प्रमुख नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं, लेकिन सरकार पर ऐसे कदम उठाने से कोई नहीं रोक नहीं है जो अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले मुद्दों से निपटने के लिए जरूरी हैं। बता दें, मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद, अरुण जेटली ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला और 2014-15 से 2018-19 तक लगातार पांच बार बजट पेश किए।