अंधविश्वास और विश्वास के बीच अंतर इंसान के आंतरिक अंधेपन का होता है। किसी भी बात की वैज्ञानिकता ही उसका अंतिम सत्य होता है। उत्तर प्रदेश से पिछले दिनों एक ऐसी ख़बर आई, जिसने लोगों को संदेह में डाल दिया। लोग यह नहीं समझ पा रहे कि इसपे विश्वास करें या नहीं? क्योंकि कहीं-कहीं वैज्ञानिकता भी परास्त होते दिखाई देती है।
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साध्वी की नहीं चल रही थी पल्स और हार्टबीट
खबर उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित आनंद आश्रम की है। जहां 28 जनवरी को साध्वी माँ आशुतोषांबरी ने समाधि ले ली। जब प्रशासन के द्वारा डॉक्टरों को आशुतोषांबरी की जांच करने को भेजा गया तो सब चौंक गए। जब डॉक्टर ने जांच किया तो साध्वी की पल्स और हार्टबीट नहीं चल रही थी।
लेकिन डॉक्टर और विज्ञान इस बात से हैरान थे कि जब उन्होंने ईसीजी किया तो उनको हलचल महसूस हुई। हालांकि, अब मस्तिष्क की जांच के लिए प्रशासन ने आदेश दिया है। लेकिन इस जांच के परिणाम ने सबको हक्का बक्का कर दिया। भले ही समाधि की प्रथा पुरातन काल से चली आ रही है और इसको लेकर कई लोककथाएं भी मशहूर है।
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देशभर में हैं करीब 350 आश्रम
लेकिन कोई वैज्ञानिक आधार इसके सामने नहीं आया है। इस सब से इतर आखिर साध्वी क्यों गई समाधि में, यह जानना भी बहुत जरूरी है। दरअलस, साध्वी के गुरु आशुतोष महाराज ने 1980 के दशक की शुरुआत में जालंधर के पास नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी। पंजाब में 65 आश्रमों के साथ देशभर में करीब 350 आश्रमों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में भी दिव्य ज्योति संस्थान के कई आश्रम हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों में है।
अब लखनऊ के आश्रम में आशुतोष महाराज की शिष्या आशुतोषांबरी ने बीते 28 जनवरी को समाधि ले ली। समाधि स्थल पर जब उनके शिष्यों से बातचीत की तो महामंडलेश्वर और बाबा महादेव ने बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दिव्य ज्योति जागृत संस्थान वालों ने आशुतोष महाराज के शरीर को डीप फ्रीजर में कैद कर रखा है, ताकि वे समाधि से कभी वापस ही न आ सकें। बाबा महादेव ने कहा कि आशुतोष महाराज ने अपनी शिष्या आशुतोषांबरी को आंतरिक संदेश भेजा था और कहा था कि वह उन्हें समाधि से वापस ले आएं। क्योंकि इन लोगों ने डीप फ्रीजर में कैद करके रखा हुआ है, इसीलिए मैं वापस नहीं आ पा रहा हूं।
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इसलिए ली है समाधी
आश्रम में शिष्य ब्रह्मर्षि जमदग्नि ने कहा कि उनकी गुरु मां आशुतोषांबरी ने सभी शिष्यों को बताकर समाधि ली। ताकि वे गुरु आशुतोष महाराज को समाधि से जगाकर वापस भौतिक शरीर में लाकर उनकी चेतना जागृत करा सकें। गुरु मां को ध्यान अवस्था में आशुतोष महाराज का संदेश मिला था। इसके अलावा आश्रम के ऊपर जिस कमरे में आशुतोषांबरी ने समाधि ली है, वहां तक जाने की मनाही है। वहां दर्शन के लिए जाने दिया जाता है।
लेकिन उससे पहले मोबाइल, पेन व बैग सब जमा करा लिया जाता है और मेटल डिटेक्टर से स्कैनिंग की जाती है। खिड़की से अंदर का दृश्य जो दिखता है, वो है एक कंबल के अंदर कोई लेटा हुआ है और मुंह ढंका हुआ है। समाधि की सत्यता क्या है? हालांकि, यह तो आशुतोषांबरी जानती होंगी या उनके इर्द गिर्द मौजूद सेवादार लोग जानते होंगे।