- द्विपक्षीय समझौते पर किए हस्ताक्षर
नई दिल्ली। जब से अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा किया है, उसके बाद से ही पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपनी चालों को चलना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि तालिबानी शासन लागू होने के बाद से पाकिस्तान न केवल भारत को बाधित करने के लिए आतंकवादियों की एक नई खैप तैयार कर रहा है, इसके साथ ही वह सीमा पार से मादक पदार्थो की तस्करी को भी बढ़ावा दे रहा है।
बता दें कि सीमा पार से ड्रग्स बरामद होने के बाद जम्मू कश्मीर के अडानी पोर्ट के अलावा मोदी सरकार भी हाई अलर्ट में आ गई है।
यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने भी सख्ती दिखाते हुए आतंकवाद की तर्ज पर ड्रग्स तस्करी को लेकर कड़ी कार्येवाई करने के लिए प्रणालियां तैयार करने में लगा हुआ है।
वहीं इस कड़ी में आतंकवाद से निपटने के लिए मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) की शैली के आधार पर गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थों की तस्करी पर सही ढंग से रोक लगाने के लिए नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की है।
केवल इतना ही नहीं, बड़े स्तर पर ड्रग्स के मामलों की निगरानी के लिए एक सीज़र सूचना प्रबंधन प्रणाली भी (एसआईएमएस) बनाई गई है। बता दें कि अन्य देशों में फैले रॉकेटों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 26 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
वहीं गृह मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक, मादक पदार्थों की तस्करी का पता लगाने में एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और निगरानी प्रणाली कारगर साबित हो रही है।
बता दें कि विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रग्स तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए 2016 में ही नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर का गठन किया गया था, जिसे 2019 में इसे जिला स्तर तक बढ़ा दिया गया।
बता दें कि यह जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक मादक पदार्थों की तस्करी के हर मामले में एजेंसियों के बीच सूचनाओं का वास्तविक समय में आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है। इससे जिले में प्राप्त सूचना के आधार पर देश के किसी भी हिस्से में नशा तस्करों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।