प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी महाराष्ट्र के नागपुर में दीक्षाभूमि का दौरा करने के लिए पहुंचे. प्रधानमंत्री ने महात्मा बुद्ध की पूजा की और बीआर आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर महाराष्ट्र के (what is Deekshabhoomi) मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे. ये वो स्थान है जहां, डॉ. बीआर आंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपनाया था.
पिछले कई सालों से, सभी राजनीतिक दलों के नेता दीक्षाभूमि जाकर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने की परंपरा बनाई. ये स्थान दलितों के लिए विशेष महत्व रखता है.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस
14 अक्टूबर, 1956 को डॉ. अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ नागपुर में दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म अपनाया था. ऐसा कहा जाता है कि पूरे महाराष्ट्र और बाहर से छह लाख दलितों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और बौद्ध धर्म को अपनाया. इस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्या है दीक्षाभूमि?
दीक्षाभूमि मूल बौद्ध वास्तुकला के बाद निर्मित एक केंद्रीय स्मारक है, जो मध्य प्रदेश के सांची में महान सम्राट अशोक द्वारा निर्मित प्रसिद्ध स्तूप की प्रतिकृति है. यह एशिया महाद्वीप का अब तक का सबसे बड़ा स्तूप है. इसका उद्घाटन 18 दिसंबर 2001 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने किया था.
what is Deekshabhoomi – यह नागपुर में स्थित है. हालांकि, नागपुर की हाल ही में ग्रीन सिटी या ऑरेंज सिटी के रूप में पहचान बनी है, लेकिन शहर के लिए वैश्विक पहचान मुख्य रूप से दीक्षाभूमि से मिली है. ऐसे में बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां आते हैं