मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपने में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… ये लाइनें बिहार के शिवहर के माधोपुर के एक बच्चे पर बिल्कुल (the story of Divyang Shubham) सटीक बैठती हैं, जो पैरों से चलने में असमर्थ है और दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन उसके अंदर पढ़ने का हौसला है. इसलिए वह अपने हाथों को पैर बनाकर चलता है और पढ़ने के लिए स्कूल जाता है.

 the story of Divyang Shubham – शिवहर प्रखण्ड क्षेत्र के माधोपुर अनंत गांव के रहने वाले सुशील पटेल के बेटे शुभम अपने दोनों पैर से चल नहीं सकता. फिर भी उसके अंदर से पढ़ने की ललक है. इसलिए वह हाथ से चलकर कई किलोमीटर तक पढ़ने जाने को मजबूर है. शुभम कुमार कुदरत की मार झेल रहा है. जन्म से ही वह दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन अपने हाथ को पैर बनाकर वह जिंदगी की गाड़ी को रोज दौड़ा रहा है.

“हाथ ही सब कुछ हैं”

शुभम रोज अपनी पीठ पर स्कूल बैग रखकर स्कूल और कोचिंग पढ़ने जाता है. चलते हुए रास्ते में शुभम को काफी परेशानी भी होती है, लेकिन शुभम कभी हार नहीं मानता है. उसका कहना है कि उसके पैर सही नहीं है, लेकिन उसके हाथ ही उसके सब कुछ हैं. शुभम का सपना अच्छे से पढ़-लिखकर एक बड़ा आदमी बनना और जिंदगी में कुछ बड़ा करना है. वह रोज कई किलोमीटर हाथों से चलकर स्कूल और कोचिंग जाता है.

शुभम ने क्या कहा?

शुभम से जब इस बारे में बात की गई तो उसने कहा, “मेरा हाथ ही सब कुछ है. मेरा मन है कि मैं पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनूं.” लेकिन शुभम न सिर्फ कुदरत की बल्कि गरीबी की भी मार झेल रहा है. फिर भी उसके अंदर पढ़ने की ललक है. वह रोज कई किलोमीटर तक हाथ से चलकर पढ़ने जाता है. शुभम की कोचिंग क्लास की शिक्षिका रूबी देवी कहती हैं कि शुभम रोज कोचिंग पढ़ने आता है.अगर जिला प्रशासन उसे मदद कर देता है तो शुभम बहुत कुछ कर सकता है.

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