बलरामपुर : उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा से लगे बलरामपुर जिले के सोहेलवा वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र से सटे रिहायशी ग्रामीण इलाकों में जंगल से भटक कर आये नरभक्षी तेंदुये (Terror Of Leopard) के जारी हमले में विगत माह से अब तक पांच बच्चों की जान जाने से ग्रामवासी खौफजदा है जबकि कई ग्रामीण घायल हो चुके हैं।
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जिला प्रभागीय वनाधिकारी एम. सेम्मारन ने रविवार को बताया कि आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए पूरे इलाके में ड्रोन से भी निगरानी कर, पिंजड़े भी लगाए गए हैं। ऐसे में जब तक तेंदुआ पकड़ में नहीं आता, ग्रामीणों को भी पूरी सतर्कता बरतने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जौनपुर जिले से आई विशेषज्ञ टीम को भी तेंदुए को पकड़ने में लगाया गया है।
इधर, बीती रात पचपेड़वा विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्राम पंचायत भगवानपुर कोरड़ में 8 वर्षीय मासूम बच्ची मुन्नी को तेंदुए ने अपना निवाला बना लिया। काफी खोजबीन के बाद बच्ची का क्षतविक्षत शव झाड़ियों से मिला है। इसके पूर्व खूंखार तेंदुए की चपेट में आये ललिया के परसहवा इलाके में अपने घर जा रहे धनराज उनकी बहू लक्ष्मी और पोती (5) को रास्ते में तेंदुए ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया।
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Terror Of Leopard – ग्राम प्रधान जोगिंदर थारू के अनुसार, तेंदुए के हमले में गत 4 नवम्बर को लालनगर सिपहिया गांव की रहने वाली तीन वर्षीय मासूम बच्ची नंदनी शिकार हो गयी। गत 11 नवम्बर को लालनगर सिपहिया गांव में ही छह वर्षीय अरुण वर्मा घर के बाहर खेलते समय तेंदुए का निवाला बन गया। ग्रामीणों नें बताया कि सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग के रामपुर रेंज के रजडेरवा थारू के मजरे बनकटवा गांव में शुक्रवार को पांच वर्षीय रितेश को अपना निवाला बना डाला।
इसके अलावा गढ़वा, सहियापुर, रजवापुर, लक्ष्मनपुर, शंकरपुर, सोहेलव, अमरहवा और अहलादडील सहित दर्जन भर गांवों में तेंदुए का खौफ फैला है। जानकारों का कहना है कि जंगल में मानव आबादी का दखल बढ़ा है। जंगल में बंदर और कुत्तों की आबादी कम हो गई है।