पालमपुर : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता शान्ता कुमार ने कहा है कि देश में एक तरफ जातिगत आरक्षण की मांग की जा रही है, बिहार में फिर से जातिगत जनगणना शुरू हुई है। अन्य प्रदेशों में भी विपक्ष के बहुत से दल जाति आधारित आरक्षण की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा स्थापित (Rohini Commission Report) रोहिणी आयोग की रिपोर्ट आंखे खोलने वाली है। मुझे हैरानी है कि इस रिपोर्ट की ओर मीडिया का ध्यान क्यों नहीं गया।
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शांता कुमार ने शनिवार को एक बयान में कहा कि ओबीसी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। कुल जातियों की संख्या 2630 है। आयोग की रिपोर्ट में कहा है कि इनमें से एक हजार जातियां ऐसी हैं जिनको पिछले 30 सालों में एक बार भी आरक्षण का लाभ नहीं मिला। आरक्षण का 50 प्रतिशत लाभ केवल 48 जातियों को मिला। कुल आरक्षण के 70 प्रतिशत का लाभ केवल 450 जातियों को मिला। शान्ता कुमार ने कहा कि ये आंकड़े पूरे आरक्षण की कलई खोलते हैं। यही कारण है कि वर्षों से आरक्षण की सुविधा है। इसके बाद भी ग्लोबल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के अनुसार 19 करोड़ लोग आज भी देश में भूखे पेट सोते हैं।
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Rohini Commission Report – उन्होंने कहा कि ओबीसी की 2630 जातियों में से एक हजार जातियों को 30 साल में भी एक बार भी आरक्षण नहीं मिला, क्या इन एक हजार जातियों में कोई भी गरीब नहीं था। जो 19 करोड़ लोग आज भी भूखे पेट सोते हैं उनमें 60 प्रतिशत लोग आरक्षित जातियों के हैं। यदि प्रारम्भ में केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया होता तो आज तक भारत में एक भी गरीब नहीं होता। 1977 में आर्थिक आधार पर हिमाचल और राजस्थान में अन्त्योदय योजना चलाई गई। हिमाचल में सबसे गरीब एक लाख लोगों में से दो वर्षों में 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से ऊपर हो गये थे। यदि वो योजना पूरे देश के लिए चलाई जाती तो आज देश में कोई गरीब नहीं होता।