उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को अब दस साल तक की सजा होगी। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड (Religion Change) धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर मुहर लग गई। बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में 26 प्रस्ताव आए, जिनमें से 25 पर मुहर लग गई। इनमें यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण का कानून सख्त बना दिया गया है।
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Religion Change – यूपी में एक व्यक्ति का जबरन धर्मांतरण करने पर एक से पांच साल की सजा और 25 हजार जुर्माना है, जबकि उत्तराखंड में ऐसा करने पर दो से सात साल की सजा होगी और 25 हजार जुर्माना होगा। प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब तीन से दस साल तक की सजा होगी, पहले अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था। साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति भी मिल सकेगी। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा। पहले यह असंज्ञेय अपराध था। अब सरकार इसे विधानसभा पटल पर रखेगी।
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कैबिनेट में नैनीताल हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा गया। इस पर कैबिनेट ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। लंबे समय से हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की कवायद चल रही थी। वहीं, अधिवक्ताओं के स्तर पर इसका विरोध किया जा रहा है।शॉपिंग मॉल, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अब बैठने की व्यवस्था भी करनी होगी। अभी तक वह ड्यूटी के दौरान ज्यादातर समय काउंटर या अन्य जगहों पर खड़े रहते हैं। इसके लिए सरकार ने उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) (संशोधन) नियमावली को मंजूरी दे दी है।