दिल्ली उच्चन्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा महिला पत्रकार राणा अयूब (Rana Ayyub) के खिलाफ जारी एक लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) को रद्द कर दिया। अदालत ने सोमवार को राणा अयूब (Rana Ayyub) को विदेश यात्रा पर जाने की अनुमति देते हुए कहा कि एलओसी जल्दबाजी में जारी किया गया था और यह मानने का कोई ठोस कारण नहीं था कि वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होंगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि लुकआउट सर्कुलर व्यक्ति से सरेंडर कराने का एक कठोर उपाय है और इस तरह यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता व मुक्त आवाजाही के याचिकाकर्ता के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।छह पन्नों के आदेश में जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि लुकआउट सर्कुलर उन मामलों में जारी किया जाना चाहिए, जिनमें आरोपी जानबूझकर समन/गिरफ्तारी से बचने की कोशिश करता है या फिर गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी अदालत के समक्ष पेश होने में नाकाम रहता है।
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जस्टिस सिंह ने कहा कि इसलिए यह मानने का कोई ठोस कारण नहीं है कि याचिकाकर्ता जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होंगी। ऐसे में मामले में लुकआउट सर्कुलर जारी करने के लिए कोई आधार नहीं बनता है। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि लुकआउट सर्कुलर जल्दबाजी में और इस तरह के उपाय पर अमल के लिए निर्धारित वजह के अभाव में जारी किया गया था।
उच्चन्यायालय ने कहा कि लुकआउट सर्कुलर रद्द किए जाने के योग्य है, क्योंकि इसका कोई आधार नहीं है और यह विदेश यात्रा पर जाने तथा अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करने के अय्यूब के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। अदालत ने सर्कुलर को रद्द करने की अयूब की याचिका को स्वीकार कर लिया और उन पर विभिन्न शर्तें लगाईं, जिनके तहत उन्हें ईडी को तुरंत अपनी यात्रा की तारीखों और विस्तृत यात्रा कार्यक्रम की जानकारी देने के साथ-साथ उन जगहों का पता साझा करना होगा, जहां-जहां वह जाएंगी।
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उच्चन्यायालय ने अयूब को मुंबई में ईडी के पास एक लाख रुपये की एफडीआर जमा करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि वह किसी भी तरह से सबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगी। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को तय तारीख यानी 11 अप्रैल 2022 को भारत लौटना होगा। साथ ही जांच एजेंसी को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह भारत लौटते ही और ईडी द्वारा पूछताछ के लिए निर्धारित तिथियों पर उसके सामने तुरंत पेश होंगी।