भारतीय सेना चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने
दुनियाभर को कोरोना वायरस की महामारी देने वाली । भारतीय सेना लद्दाख और चीन से सटे इलाकों में सड़क निर्माण कर रहा है। इसे रोकने के लिए चीन ने वहां अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। हाल ही में सैनिकों के बीच तनातनी भी हो गई थी।
चीन ने भारत के निर्माण कार्यो में अड़ंगा लगाने की नीयत से ही लद्दाख क्षेत्र में सैन्य अतिक्रमण किया है और भारतीय सेना चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की स्थिति में पूरी मजबूती से डटी है।
2017 में डोकलाम में भारत-चीन के बीच सैनिकों की सीमा पर हुई भिड़ंत के सबसे तनावपूर्ण दौर के बाद लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण सबसे गंभीर मसला बन गया है।
भारत से जारी तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping
सीमा पर भारत से जारी तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping ने अपनी सेना को हर मुश्किल हालात के लिए तैयार रहने को कहा है। संसदीय सत्र के दौरान सेना तथा सशस्त्र पुलिस के संयुक्त दल को संबोधित करते हुए Xi Jinping ने कहा, आप सबसे बुरे हालात को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी तेज कर दें। आपको मुश्किल हालात का सामना करते हुए देश की रक्षा करना है। वहीं, सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत सरकार भी हरकत में आ गई है।
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भारत में भी हालात से निपटने की तैयारियां शुरू हो गईं
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आस-पास चीन और भारतीय सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन की हरकतों को देखते हुए भारत में भी हालात से निपटने की तैयारियां शुरू हो गईं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुख शामिल हुए। इसके बाद मोदी ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से भी चर्चा की। इससे पहलेलद्दाख में तनाव पररक्षा मंत्री की सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से करीब एक घंटेमीटिंग हुई।
न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि दोनों बैठकों में मोदी औरराजनाथ को चीन की हरकतों पर भारतीय सेना के जवाब की जानकारी दी गई। मीटिंग में दो अहम फैसले लिए गए। पहला- इस क्षेत्र में सड़क निर्माण जारी रहेगा। दूसरा- भारतीय सैनिकों की तैनाती उतनी ही रहेगी जितनी चीन की है।
बढ़ते तनाव के बीच PM Modi ने शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ की अहम बैठक
भारत और चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ पूरे हालात की समीक्षा की। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख मनोज मुंकद नरवाने, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे।
PM Modi की बुलाई गई इस तरह की पहली बैठक से यह साफ है कि चीन सैन्य बल के सहारे भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसे किसी भी स्थिति में सफल नहीं होने दिया जाएगा। बैठक के दौरान सेना को सीमा पर चल रहे निर्माण कार्य को जारी रखने का निर्देश दिया गया है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच करीब दो महीने से तनाव
तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के आर्मी अफसरों की कई मीटिंग हो चुकी हैं। सोमवार तक बातचीत बेनतीजा रही। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच करीब दो महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच चीन ने भारतीय इलाके में 10 किलोमीटर भीतर घुसकर 100 से ज्यादा तंबू गाड़ दिए हैं। इस महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच 3 बार झड़प भी हो चुकी है।
डोकलाम के बाद सबसे बड़ा टकराव
अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है।
डोकलाम पर 73 दिन टकराव चला था|
भारत-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। के आखिर में दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।
क्या था डोकलाम विवाद?
डोकलाम में विवाद तब शुरू हुआ, जब भारतीय सेना ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था। इस इलाके का भारत में नाम डोका ला है, जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग क्षेत्रका हिस्सा है। भारत-चीन सीमा जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर लंबीहै। इसका 220 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम में आता है।
‘गालवान इलाके में विवाद भी नहीं, फिर भी चीन घुसपैठ कर रहा’
भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि दोनों इलाकों में हमारी क्षमताएं चीन से बेहतर हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि भारतीय पोस्ट केएम120 और गालवान वैली समेत कई अहम पॉइंट्स के आसपास चीन के सैनिक मौजूद हैं। नॉर्दन आर्मी के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हुड्डा का कहना है कि चीन की ये हरकत सामान्य बात नहीं है, जबकि गालवान जैसे इलाकों में भारत-चीन के बीच कोई विवाद भी नहीं है।
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