Clean Ganga Fund साल 2014 में शासन की बागडोर संभालने के बाद से ही गंगा नदी का संरक्षण और कायाकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में से एक रही है। इसी के तहत शुरू किए गए प्रमुख कार्यक्रम नमामि गंगे का मुख्य उद्देश्य गंगा को स्वच्छ बनाने के साथ ही उसके प्राचीन गौरव को वापस लाना है। इतनी लंबी नदी का कायाकल्प करने में न केवल बड़ी चुनौतियां हैं बल्कि इसके लिए भारी निवेश की भी आवश्यकता है।
इसलिए सरकार ने पहले ही बजट को चार गुना बढ़ा दिया है, फिर भी यह इस तरह के विशाल उद्देश्य के लिए पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए सरकार ने एक स्वच्छ गंगा निधि बनाई जिसमें हर कोई गंगा नदी की सफाई के लिए योगदान कर सकता है। गंगा निधि में योगदान के लिए आगे आ रहे हैं लोगराष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के कार्यकारी निदेशक वित्त रोजी अग्रवाल ने इस बारे कहा,’स्वच्छ गंगा निधि की शुरुआत, लोगों में गंगा नदी को लेकर उत्साह बढ़ाने, गंगा के करीब लाने और एक स्वामित्व की भावना पैदा करने वाली पहल के तौर पर की गई।
यह देखकर खुशी होती है कि कई बड़े संगठन और आम लोग clean Ganga Fund में योगदान के लिए आगे आ रहे हैं, कुछ नियमित रूप से और अपनी पेंशन से भी योगदान कर रहे हैं, जो स्वच्छ और निर्मल गंगा के उद्देश्य को प्राप्त करने के मिशन में हमारे संकल्प को मजबूत करता है।’ अब तक 453 करोड़ रुपये की धनराशि जमागंगा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि आज केवल देश से ही नहीं, विदेश से भी लोग गंगा संरक्षण के लिए स्वच्छ गंगा निधि में योगदान कर रहे हैं। मार्च 2021 तक, स्वच्छ गंगा निधि में 453 करोड़ रुपये की धनराशि जमा की गई है, जिनमें से प्रमुख परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं।
clean Ganga Fund इन परियोजनाओं में उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा केदारनाथ के पास गौरीकुंड का विकास, 5 नालों का प्रशोधन कार्य, घाटों और श्मशानों का पुनर्निर्माण, हरिद्वार में हर की पौड़ी परिसर का निर्माण और विभिन्न क्षेत्रों में वनरोपण शामिल हैं। इन लोगों ने दिया गंगा निधि में योगदानवहीं 2020-2021 में करीब 14.18 करोड़ प्राप्त हुए हैं। इसमें पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ने 1.5 करोड़ का योगदान किया है। वहीं, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ने भी 1 करोड़ से अधिक का योगदान किया है। जबकि एएआई कार्गो लॉजिस्टिक ने 1.45 करोड़ रुपये का योगदान दिया है।
इसके अलावा, धर्मस्थल मंजूनाथेश्वर धर्मोत्थान ट्रस्ट, कर्नाटक ने 15 लाख रुपये का योगदान दिया है। यह पहली बार है जब किसी मंदिर ट्रस्ट ने स्वच्छ गंगा निधि में योगदान दिया है और उन्होंने गंगा के कायाकल्प को लेकर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए अपना सहयोग देने का भी संकल्प जताया है। स्वच्छ गंगा निधि में कर सकते हैं योगदानएनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने अपील की है कि, ‘नमामि गंगे दुनिया में लागू की गई सबसे जटिल परियोजनाओं में से एक है। इसके लिए देश के सभी क्षेत्रों और प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। हम सभी गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए योगदान दे सकते हैं।
‘स्वच्छ गंगा निधि में योगदान देने के लिए, स्वच्छ गंगा निधि के स्टेट बैंक अकाउंट (34213740838, स्विफ्ट कोड: SBININBB104) में दान किया जा सकता है। स्वच्छ गंगा निधि में दान देने पर धारा 80-जी (1) (I) के तहत आयकर से छूट मिलेगी। अब तक .20,000 करोड़ रुपये का बजट जारीबता दें कि गंगा से प्रदूषण मुक्त, पुनर्स्थापन और कायाकल्प के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए .20,000 करोड़ रुपये का बजट जारी किया जा चुका है। गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है, जो हिमालय पर्वत से बंगाल की खाड़ी तक 1,569 मील (2,525 किलोमीटर) में बहती है।
315 में से 132 परियोजनाएं पूरीसितंबर 2020 में जल शक्ति मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 315 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल लागत 28854 करोड़ रुपये है, इनमें सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर, घाट और श्मशान, रिवरफ्रंट विकास, नदी की सतह की सफाई, संस्थागत विकास, जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण और ग्रामीण स्वच्छता है। 315 में से 132 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, शेष परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।
Image Source:- www.google.com