ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा करने के विषय में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से डाली गई याचिका कोर्ट द्वारा खारिज (Petition Rejected) कर दी गई है। बुधवार को सुनवाई करते हुए जिला जज महेंद्र प्रसाद पांडेय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद की उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है।
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Petition Rejected – शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग जैसी आकृति के पूजन-भोग के लिए शनिवार को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व चंद्रशेखर सेठ के जरिए प्रभारी जिला जज त्रिभुवन की अदालत में अर्जी देकर पूजा-पाठ का आदेश देने की गुहार लगाई थी। अदालत ने दिन में तीन बजे के बाद दाखिल अर्जी पर मुंसरिम (प्रशासनिक अधिकारी) की आख्या न होने पर सुनवाई छह जून तक टाल दी।
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वादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुए सर्वे में मिली शिवलिंग जैसी आकृति का विधिवत राजभोग, पूजन व आरती जिला प्रशासन की ओर से होना चाहिए था, लेकिन अब तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है और न ही किसी सनातन धर्म से जुड़े व्यक्ति को इस सम्बंध में नियुक्त किया। उन्होंने बताया था कि कानूनन देवता की स्थिति एक जीवत व्यक्ति के समान होती है। उसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान की धारा अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को परिसर में जाने से रोका जाय। अधिवक्ता ने वाद को अर्जेंट बताते हुए जल्द से जल्द सुनवाई शुरू करते हुए वादी को पूजन व भोग करने की अनुमति देने की मांग की थी।