- एआईएमआईएम चीफ का कथन, ‘6 साल पुराना है वीडियो, तब तो सत्ता में भी नहीं थी यह सरकार’
कानपुर। उत्तर प्रदेश के सीनियर आईएएस अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन के कानपुर में मंडलायुक्त रहते हुए उनके कैंप कार्यालय के वायरल हुए वीडियो को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ भाजपा और विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले में आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने और पूरे मामले की जांच करने की मांग करते हुते विरोध जाहिर किया है।
बजरंग दल का कहना है कि एक आईएएस अधिकारी के रूप में धर्मांतरण जैसे मामलों में संलिप्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे मामलों में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने अपनी मांग को लेकर बुधवार को बड़ा चौराहे पर प्रदर्शन भी किया।
वहीं दूसरी तरफ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में कट्टरता फैलाने के आरोपी आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ एसआईटी जांच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है।
ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के 6 साल पुराने वीडियो की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया। वीडियो उस समय का है जब यह सरकार सत्ता में भी नहीं थी। यह धर्म के आधार पर साफ तौर से उत्पीड़न का मामला है।’
ओवैसी ने कहा कि, अगर मानदंड यह है कि किसी भी अधिकारी को धार्मिक गतिविधि से नहीं जोड़ा जाना चाहिए तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीकों व छवियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दीजिए। यदि घर में आस्था की चर्चा करना अपराध है तो सार्वजनिक धार्मिक उत्सव में भाग लेने वाले किसी भी अधिकारी को दंडित किया जाए।