संगठनात्मक चुनाव को लेकर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में एक राय नहीं है है। एक खेमा चुनाव के पक्ष में है तो दूसरा विधानसभा और नगर निगम चुनाव की आड़ में चुनाव टालना चाह रहा है। सदस्यता अभियान (membership campaign) में गुटबाजी से कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी नाखुश है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव अधिकारी दीपा दासमुंशी ने भी दो दिन पहले जिला शिमला कांग्रेस की बैठक में इस मामले में मतभेद और ढील पर कुछ नेताओं को कड़ी फटकार लगाई है।
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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में वर्ष 2017 में सदस्यता अभियान चला था। उस वक्त भी हिमाचल, गुजरात और कई अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठनात्मक चुनाव स्थगित किए गए थे। तब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू थे। सुक्खू के बाद जनवरी 2019 में कुलदीप सिंह राठौर प्रदेशाध्यक्ष बने। इंदिरा गांधी की जयंती पर 19 नवंबर 2021 को हिमाचल में दोबारा सदस्यता अभियान शुरू हुआ। पूर्व सांसद दीपा दासमुंशी को प्रदेश चुनाव अधिकारी और शमीमा रैना को सहायक चुनाव अधिकारी बनाया गया।
Membership Campaign – सदस्यता अभियान पर दीपा सिरमौर, सोलन, हमीरपुर और ऊना में बैठकें ले चुकी हैं, जिसमें वह सख्ती दिखा चुकी हैं। दूसरे दौर में उन्होंने दो दिन पहले शुक्रवार को शिमला में भी बैठक ली। शनिवार को बिलासपुर और रविवार को मंडी में भी जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक ली। सदस्यता अभियान के बाद पहले बूथ स्तर के चुनाव होंगे। इसके बाद ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी का चुनाव होगा। जिस पद के लिए सर्वसम्मति बनेगी, वहां चुनाव नहीं होंगे।
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बैठक में साफ तौर पर केहर सिंह खाची ने कहा कि संगठनात्मक चुनाव होने चाहिए। मैं खुद दस साल तक चुना हुआ जिला अध्यक्ष रहा हूं। मनोनीत के बजाय कांग्रेस की कार्यकारिणी चुनी हुई होनी चाहिए। इससे संगठन मजबूत होता है। मैं यह बात प्रदेश चुनाव अधिकारी दीपा दासमुंशी, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर और अन्य लोगों के समक्ष भी रख चुका हूं।
दीपा दासमुंशी ने कहा कि विधानसभा और नगर निगम के चुनाव इसी साल हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से सुझाव आए हैं कि सदस्यता अभियान और संगठनात्मक चुनाव आगे टाले जाएं। अगर न हों तो अच्छा होगा। मगर यह संभव नहीं होगा। पार्टी का अलग संविधान है। इन दोनों का संगठनात्मक चुनाव से कोई संबंध नहीं है


