उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश का असर अब विद्युत उत्पादन पर देखने को मिलने लगा है. उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएनएल) के ज्यादातर पावर हाउस के टरबाइन की रफ्तार नदियों में आई गाद और ओवरफ्लो की वजह से थम सी गई है. विद्युत उत्पादन क्षमता आधे से ज्यादा कम हो गई है. स्थिति सामान्य नहीं होने (Destruction in hilly rivers) पर प्रदेश में बड़ा बिजली संकट पैदा हो सकता है. इससे बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान हो सकता है. साथ ही प्रदेशवासियों को भी काफी परेशानी हो सकती है.

उत्तर भारत सहित देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश का असर कम होता नजर नहीं आ रहा है. बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान आदि राज्यों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई हैं. उत्तराखंड में भी नदियां-नाले उफान पर हैं. नदियां में पानी के साथ बड़े स्तर पर गाद भी बहकर आ रही है. गाद के कारण प्रदेश की विद्युत उत्पादन धीमी पड़ गई है. यूजेवीएनएल के पावर हाउस में लगे टरबाइन की रफ्तार नदियों में गाद और आवोरफ्लों की वजह से रुक गई है.

Destruction in hilly rivers – 30 अगस्त को प्रदेश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 23.715 मिलियन यूनिट रही, जबकि उत्पादन हानि 3.231 मिलियन यूनिट दर्ज की गई थी. एक आंकड़ा एक सितंबर को बहुत कम हो गया है. इस दिन उत्पादन क्षमता घटकर 12.474 मिलियन यूनिट रह गई है. वहीं उत्पादन हानि बढ़कर 13.853 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई. नदियों में अत्यधिक गाद आने से छिबरो, खोदरी, चीला और ढालीपुर समेत कई जलविद्युत परियोजनाओं की टरबाइन बंद करनी पड़ी हैं.

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