राजधानी दिल्ली में MCD चुनाव को लेकर लोगों में काफी कम उत्साह देखने को मिला। वोटिंग को लेकर मतदाता सुस्त दिखे। सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं की शिकायत करने का सबसे ज्यादा जोर जिस मध्यम वर्ग पर होता है, उस वर्ग के लोगों का वोटिंग प्रतिशत सबसे कम (Low Turnout) था। सुबह-सुबह तो कई बूथ पर गिने-चुने लोग ही वोट देने पहुंच रहे थे। हालांकि दोपहर बाद लोगों ने घरों से निकलना जरूर शुरू किया, लेकिन फिर भी पिछले चुनावों की तरह लोगों की भीड़ का नजारा नहीं था।

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एमसीडी चुनाव की वोटिंग रविवार को हुई। लोगों ने इसे वीकेंड की तरह एन्जॉय किया। लोग पोलिंग बूथ पर वोट देने तो नहीं पहुंचे लेकिन परिवार के साथ वीकेंड मनाने में व्यस्त रहे। वहीं कल भारत और बांग्लादेश के बीच वनडे क्रिकेट मैच भी था। ये मैच काफी रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया। कई लोग मैच देखने में लग गए और चुनाव में वोट देना जरूरी नहीं समझा। इसके साथ ही दिल्ली में कल करीब एक महीने बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया।राजधानी के कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार था। ऐसे में लोगों ने घर से बाहर निकलना ठीक नहीं समझा। युवा कूल संडे मना रहे थे तो घर के बड़े बुजुर्ग प्रदूषण से बचने के लिए घरों में कैद रहे।

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Low Turnout – वैसे तो पूरी दिल्ली में ही इस बार एमसीडी चुनाव की वोटिंग को लेकर उत्साह कम दिखा, लेकिन पॉश इलाकों में इसका असर कुछ ज्यादा ही दिखाई दिया। ठंड के मौसम में यहां वोटिंग पर ऐसा पाला पड़ा कि पोलिंग बूथों पर तैनात स्टाफ दिनभर वोटरों की राह ताकते नजर आए। पॉश इलाकों में आमतौर पर वोटिंग का जो ट्रेंड नजर आता है, उसमें सुबह कम लोग ही वोट डालने निकलते हैं, लेकिन दोपहर बाद थोड़ा माहौल बनता है और शाम होते-होते कई जगह लाइनें तक लग जाती है, लेकिन इस बार कहीं पर भी ऐसा नजारा दिखाई नहीं दिया। यहां तक कि भरी दोपहरी में भी पोलिंग बूथों पर ज्यादा वोटर नहीं पहुंचे। इससे सबसे ज्यादा संतुष्ट सिक्योरिटी और पोलिंग स्टाफ नजर आया, जिसे कहीं पर भी कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ रही थी।

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