प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कर को 10 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अपनी ऊर्जा जरूरत के लिए भारत की विदेशी कच्चे तेल पर निर्भरता बढ़ी है| सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता बढ़कर कई साल के उच्चस्तर 84 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो कई साल का उच्चतम स्तर है|
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मार्च 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश को 2022 यानी अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक तेल आयात पर अपनी निर्भरता को दस प्रतिशत कम कर 67 प्रतिशत पर लाने की जरूरत है| 2013- 2014 में यह 77 प्रतिशत थी| प्रधानमंत्री ने उस समय 2030 तक कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को घटाकर 50 प्रतिशत का लक्ष्य रखा था|
पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार तेजी से बढ़ने और उत्पादन एक ही स्तर पर टिक रहने की वजह से देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता 2018- 2019 में बढ़कर 83.7 प्रतिशत हो गई है जो 2017-2018 में 82.9 प्रतिशत थी| पीपीएसी के अनुसार 2015-2016 में आयात पर निर्भरता 80.6 प्रतिशत थी जो उसके अगले साल बढ़कर 81.7 प्रतिशत हो गई|
देश की कच्चे तेल की खपत 2015-16 में 18.47 करोड़ टन थी, जो 2016-17 में बढ़कर 19.46 करोड़ ओर 2017-18 में 20.62 करोड़ हो गई| वहीं 2018-19 में मांग 2.6 प्रतिशत बढ़कर 21.16 करोड़ टन पर पहुंच गई। इस रुख के उलट घरेलू उत्पादन लगातार घट रहा है|
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देश का कच्चे तेल का उत्पादन 2015-16 में 3.69 करोड़ टन था जो 2016-17 में घटकर 3.6 करोड़ टन रह गया। इसके बाद के वर्षों में भी गिरावट का रुख कायम रहा| 2017-18 में कच्चे तेल का उत्पादन घटकर 3.57 करोड़ टन रह गया|
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