नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा और पश्चिमी देशों को (Double Stance On Terrorism) स्पष्ट संदेश देते हुए संयुक्त राष्ट्र में कहा कि राजनीतिक नफा-नुकसान के आधार पर आतंकवाद के बारे में रवैया तय नहीं किया जाना चाहिए। वे दिन लद गए हैं जब कुछ देश नियम-कानून तय करते थे तथा उन्हें दूसरे देशों पर थोपते थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम चर्चा में नमस्ते फ्रॉम भारत से अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और दूसरों देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए।
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Double Stance On Terrorism – कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के बाद कनाडा और भारत के बीच जारी टकराव की सीधे रूप से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नियमों और कानूनों का पालन करना सभी देशों पर समान रूप से लागू होता है। उन्होंने कहा कि आजकल नियम आधारित विश्व व्यवस्था की अकसर चर्चा होती है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने की दुहाई भी दी जाती है, लेकिन इस प्रलाप के बावजूद यह एक सच्चाई है कि कुछ देश एजेंडा और नियमों को तय करते हैं। यह ढर्रा अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता और इन्हें चुनौती भी दी जाएगी।
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विदेश मंत्री ने जी-20 शिखरवार्ता के दौरान अफ्रीकी महाद्वीप की आवाज बुलंद करते हुए उसे संगठन का स्थाई सदस्य बनाए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस कदम का अनुसरण करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी समय के अनुरूप सुधार होना चाहिए। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के मेल-मिलाप के रवैये की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया में पूर्व और पश्चिम के बीच ध्रुवीकरण का माहौल है तथा उत्तर (पश्चिमी देश) और दक्षिण (विकासशील- कम विकसित देश) के बीच असमानता है। हमारा प्रयास है कि मतभेदों को दूर किया जाए और आम राय कायम की जाए।