भारत का चीन से चल रहे विवाद के कारण लगातार तीसरे साल भी कैलास मानसरोवर यात्रा का आयोजन नहीं होगा, पर यात्री आदि कैलास और ओम पर्वत की यात्रा कर पाएंगे। यात्रा के आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने आदि कैलास यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
केएमवीएन यात्रा मार्ग की स्थिति जानने के लिए पहले अपनी रेकी टीम भेजता है, जो पैदल ट्रेकिंग वाले इलाकों में बर्फबारी से टूटे रास्तों की मरम्मत करती है। पर इस साल यात्रा काफी हद तक आसान होगी। क्योंकि भारतीय सीमा के नाबीढांग तक सड़क बनकर तैयार हो चुकी है। यहां से ओम पर्वत के दर्शन होते हैं।devotees are not allowed to kailash mansarovar
ऐसे में पर्यटक अब धारचूला से नाबीढांग तक वाहन के जरिए केवल एक दिन में पहुंच सकेंगे। आदि कैलास का पूरा इलाका भारतीय सीमा में है। ऐसे में बिना परेशानी यात्री आदि कैलास तक पहुंच पाएंगे। हिमालय के सबसे सुंदर इलाकों में शामिल है आदि कैलास: आदि कैलास की यात्रा हिन्दू धर्म में पवित्र तीर्थयात्रा मानी जाती है।
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तिब्बत में स्थित कैलास की भांति यह भी एक सरोवर है। सरोवर के किनारे भगवान शिव और माता पार्वती का मंदिर स्थित है। यात्रा के दौरान पार्वती झील, शिव मंदिर और गौरीचक तीर्थस्थल के भी दर्शन किए जाते हैं।भारत वर्ष में एक पौराणिक मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति इस यात्रा को अपने जीवन में एक बार करता है तो उसके जन्म जन्मान्तर के पाप धुल जाते है और वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है
devotees are not allowed to kailash mansarovar – कैलास मानसरोवर यात्रा के आदेश इस साल भी नहीं आए हैं। हम अपने स्तर से आदि कैलास, ओम पर्वत की यात्रा का आयोजन करवा रहे हैं। कोविड के नियमों में भी अब राहत मिल गई है। साथ ही सड़क बनने से यात्रा में पैदल दूरी कम हुई है। इसको लेकर केएमवीएन देशभर में इस यात्रा का प्रचार कर रहा है। उम्मीद है कि यात्रियों के साथ पर्यटक भी इस साल काफी तादाद में हिमालय के इस पवित्र इलाकों की यात्रा पर आएंगे।