हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं. शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि श्राद्ध का भोजन सबसे पहले कौवे को अर्पित करना चाहिए, क्योंकि कौवा पितरों का दूत माना गया है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि श्राद्ध वाले दिन (Panchbali bhog) घर के आंगन या छत पर कौवे दिखाई नहीं देते. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कौवा न मिलें, या कौवे भोजन ग्रहण नहीं करें तो पितरों का भोजन किसे अर्पित किया जाए?
पंचबलि भोग
पंचबलि के लिए भोजन: पंचबलि के लिए सबसे पहले एक पत्ते पर भोजन रखें. यह भोजन वही होना चाहिए जो आपने श्राद्ध के लिए बनाया है.
सही क्रम: पंचबलि हमेशा एक विशेष क्रम में निकाली जाती है.
गौ बलि: सबसे पहले एक पत्ते पर भोजन रखकर गाय को खिलाएं.
श्वान बलि: इसके बाद दूसरे पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को खिलाएं.
काक बलि: तीसरे पत्ते पर भोजन रखकर कौवे के er67 निकालें.
अगर कौवा न मिले तो उसके हिस्से का भोजन गाय या कुत्ते को खिलाएं.
देव बलि: चौथे पत्ते पर भोजन देवताओं के लिए रखें. इसे जल में प्रवाहित किया जाता है.
पिपीलिका बलि: आखिरी में, पांचवें पत्ते पर भोजन चींटियों के लिए जमीन पर रखें.
इन पांचों जीवों को भोजन कराने से न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि आपके (Panchbali bhog) द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को भी पूर्णता मिलती है. यह माना जाता है कि इन जीवों के माध्यम से ही पितरों तक हमारा भोग और श्रद्धा पहुंचती है.