सीएम योगी आदित्यनाथ ने ‘स्वामित्व’ योजना को ग्राम्य सशक्तीकरण की दिशा में बड़ी क्रांति कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘घरौनी’ मात्र भूमि का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज नहीं, बल्कि यह गांव के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसम्मान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम है। सीएम शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश के 11 जिलों (जनपद जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, वाराणसी एवं आजमगढ़ के 1001 गांवों में 1 लाख 57244 ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) के डिजिटल वितरण कार्यक्रम (वर्चुअल) में लाभार्थियों से संवाद कर रहे थे।
स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को अपने ग्राम के आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी सम्पतियों (भवन, प्लाट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त हो रहे हैं। यह विवाद और भ्रष्टाचारको खत्म करेंगे ही, जरूरत पड़ने परबेझिझक इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक से सहजतापूर्वक ऋण भी लिया जा सकेगा। इस ऋण के जरिए ग्रामीण अपना कोई उद्यम भी लगा सकते हैं। इस तरह यह स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ाने का भी जरिया बनेगा। इस अवसर पर सीएम ने डिजिटल खसरा का शुभारंभ भी किया।
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कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के सात नागरिकों को मुख्यमंत्री के हाथों घरौनी मिली, जबकि सभी 11 जिलों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा (घरौनी) का वितरण किया गया। घरौनी प्राप्त करने वाले लोगों से वर्चुअल संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तैनी जमीनों पर लोगों के मकान तो थे, लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं था। नतीजतन, आए दिन लोगों को उत्पीड़न औरविवाद झेलना पड़ता था, अब ऐसा नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने खतौनी के शत प्रतिशत ऑनलाइन होने पर इसका लोकार्पण किया और राजस्व परिषद के अधिकारियों को बधाई दी। परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी ने कहा कि इससे आम जनता को खतौनी में देखने में आसानी होगी।
अब मिलेगा ऑनलाइन डिजिटल खसरा डिजिटल खसरा का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व के 21 स्तम्भों के ऑफलाइन खसरे के स्थान पर अब 46 स्तम्भों के नए और पूर्णतः ऑनलाइन डिजिटल खसरे जारी होने का काम व्यापक जनमहत्व का है। इस ऑनलाइन खसरा में गाटा, फसल एवं सिंचाई के साधन, दैवीय आपदा एवं कृषि अपशिष्ट निस्तारण, वृक्ष, गैर कृषि भूमि, लीज, दो फसली क्षेत्रफल व अकृषित भूमि और विशेष विवरण अंकित किया जायगा |
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