मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब बीस महीने पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) चुनावी मोड में नजर आने लगे हैं। एक वक्त पर शांत स्वभाव के लिए पहचान रखने वाले शिवराज (CM Shivraj) अब ‘बुलडोजर मामा’ के रूप में आने की कोशिश में जुटे हैं। ‘बुलडोजर मामा’, जो गरीबों के प्रति उदार हैं और गलत अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही को भी तैयार हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की ऐतिहासिक जीत के बाद शिवराज ने खुद को पूरी तरह से नए तेवर और छवि के लिए तैयार कर लिया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए खुद को ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में एक ब्रैंड बनाया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में मुफ्त राशन और आवास योजना का जमकर फायदा उठाया था और इससे पार्टी को लाभार्थियों के बीच नया चुनावी क्षेत्र भी बना।
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अधिकारियो को अल्टीमेटम एक ओर जहां कांग्रेस की प्रदेश यूनिट में अंतर्कलह मची हुई है, वहीं दूसरी ओर चौहान ने सरकारी योजनाओं को लेकर पिछले महीने 15 जनसभाओं को संबोधित किया और अधिकारियों के साथ 17 बैठकों की अध्यक्षता की। अधिकारियों ने इन बैठकों को लेकर बताया कि चौहान ने उन्हें साफ चेतावनी दी थी कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचने में अगर जरा सी भी लापरवाही हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि मार्च महीने में पंचमढ़ी में एक कैबिनेट बैठक में चौहान ने अगले 20 महीनों के लिए मंत्रियों के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किया है।
बनाई ‘बुलडोजर मामा’ वाली छवि
कल्याणकारी योजनाओं के साथ शिवराज मतदाताओं को यह संदेश देने की भी कोशिश कर रहे हैं कि वह माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ बेहद सख्त हैं। 20 मार्च को सीएम शिवराज ने एक जनसभा के दौरान कहा था कि ‘मामा का बुलडोजर चालू हो गया है, अब यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक बदमाशों को दफ़नाया नहीं जाता। उनके घर उजाड़ दिए जाएंगे। मैंने राज्य से डकैतों को खत्म किया और अब मैं माफियाओं और अपराधियों को खत्म कर दूंगा।’ इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने पूरे राज्य में शिवराज को ‘बुलडोजर मामा’ के रूप में पेश करने वाले पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों में दिखाया गया कि पिछले दो सालों में राज्य सरकार ने माफिया या अपराधियों के 127 भवनों को जमींदोज कर दिया है।
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अधिकारियों के सामने भी सख्त
अधिकारियों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों के सामने भी शिवराज ने काफी सख्त होते हुए अपनी छवि बदलने की कोशिश की। 19 मार्च को हुई बैठक में चौहान ने अधिकारियों से साफ कहा कि अगर वे ठीक तरह से जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं तो उनका तबादला कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था, ‘मैं साफ कह रहा हूं कि अपराधियों के लिए किसी तरह की दया और भ्रष्टाचार नहीं देखना चाहता। अगर अधिकारियों को कोई समस्या है तो मैं उनका ट्रांसफर कर दूंगा लेकिन मैं मध्य प्रदेश से अपराधियों को बाहर निकालने और गरीबों की मदद करने के अभियान को नहीं रोकूंगा।’