सूरजपुर : ”बरगद और नीम के पेड़ में हमारे देवी देवताओं का वास रहता है. हम किसी भी कीमत पर इन पेड़ों को कटने नहीं देंगे”. देवगुड़ी गांव के ग्रामीण ये बात कहते कहते उग्र हो जाते हैं. ग्रामीणों का कहना (chipko movement) है कि वो सदियों से इन पेड़ पौधों की पूजा करते चले आ रहे हैं. उनके बाप दादा के वक्त से इन पेड़ों की पूजा की परंपरा अनवरत चली आ रही है. चाहे हमारी जान ही चली जाए हम इस बरगद को नहीं कटने देंगे.
बरगद का पेड़ बचाने के लिए पेड़ से लिपटे ग्रामीण
आदिवासी सदियों से प्रकृति के उपासक रहे हैं. छत्तीसगढ़ में प्रकृति पूजा की सदियों से परंपरा रही है. जल, जंगल जमीन की पूजा सालों से यहां होती आ रही है. आदिवासी पेड़ों को अपनी संतान मानते हैं. कहा भी जाता है एक पेड़ सौ पुत्रों के समान होता है. सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले में अब पेड़ को बचाने के लिए लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. चिपको आंदोलन की तरह गांव के लोग बरगद के पेड़ से लिपट गए हैं. गांव वालों का कहना है वो किसी भी कीमत पर पेड़ नहीं कटने देंगे.
chipko movement – दरअसल, देवगुड़ी गांव में एक विशाल बरगद का पेड़ लगा है. गांव के लोग इस बरगद पेड़ की पूजा करते हैं. लेकिन बीते दिनों किसी ने इस पेड़ की डाल को काट डाला. गांव वाले अब इस बात से नाराज हैं. गांव वालों को डर है कि कहीं रात के अंधेरे में पेड़ को काट न दिया जाए. गांव के लोग अब एकजुट होकर पेड़ की रक्षा कर रहे हैं. चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ से लिपटकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
कहा है देवगुड़ी गांव
देवगुड़ी गांव सूरजपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर है. देवगुड़ी गांव रविंद्रनगर ग्राम पंचायत के भीतर आता है. ग्राम पंचायत के पास सरकार जमीन है. इसी सरकार जमीन पर बरगद का पुराना पेड़ है. बरगद के पेड़ से ही सटा नीम का भी एक पेड़ खड़ा है. गांव के लोग कहते हैं कि पूजा पाठ के अलावा गर्मी के दिनों में गांव के लोग यहां पर आराम करते हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि वो सालों से वट सावित्री की पूजा यहां करती आ रही हैं. इस पेड़ को वो किसी हालत में कटने नहीं देंगी.


