Ambala: 32 accused acquitted in the case of registries on fake GPA of Tatipur of Madhya Pradesh

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– फोटो : सोशल मीडिया

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मध्य प्रदेश के टाटीपुर के फर्जी जीपीए पर करीब 10 वर्ष पहले हुई रजिस्ट्रियों के मामले में मंगलवार को हरियाणा के अंबाला की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम ने फैसला सुनाया। मामले में अदालत ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया, हालांकि हाईकाेर्ट से उन्हें पहले ही राहत मिल गई थी, मगर मामला निचली अदालत में पिछले लंबे समय से चल रहा था।

फैसले में अब अरबिंदर सिंह, मानविंदर सिंह, जसबीर सिंह, गुरचरण सिंह, अमरीक सिंह, संजीव कुमार, संदीप जैन, निर्मल सिंह, अवतार सिंह, प्रवीन कुमार जैन, प्रदीप कुमार, राजकुमार, हरजस राय, ओंकार वर्मा, अश्वनी कुमार, लक्ष्मी सागर, आनंद जिंदल आदि को बरी कर दिया गया है।

दरअसल, वर्ष 2006 में सरकार ने अनौपचारिक रूप से रजिस्ट्रियां बंद कर दी थीं। इसके बाद लोग दूसरे राज्यों से जनरल पावर अटर्नी (जीपीए) लेकर रजिस्ट्रियां कराने लगे थे। इस दौरान अंबाला में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में टाटीपुर तहसील का वजूद न होने के बावजूद इस तहसील के नाम से फर्जी जनरल पावर अटर्नी (जीपीए) जारी कर दी गई।

इसी जीपीए के आधार पर अंबाला छावनी, अंबाला शहर व प्रदेश में दूसरे जिलों में फर्जी दस्तावेज के आधार पर रजिस्ट्रियां करा दी गई थीं। मामले में नायब तहसीलदार और तहसीलदारों ने यह भी जहमत नहीं उठाई कि वह टाटीपुर में एक बार जांच करा लें।

इस मामले में यमुनानगर के जगाधरी के एक व्यक्ति को ऐसे रजिस्ट्रियों पर शक हुआ और उन्होंने जब पड़ताल कराई तो टाटीपुर नाम की कोई तहसील मिली ही नहीं, बल्कि वह एक छोटा सा गांव था। इसके बाद ही मामला कोर्ट में चला गया। इसे लेकर कई मामले अंबाला में दर्ज किए गए, हालांकि जमीन बेचने व खरीदने वाले जो लोग सही हैं, उन्हें पहले ही हाईकोर्ट राहत दे चुका है।

इंतकाल भी हो गए थे दर्ज

टाटीपुर कांड से जुड़ी सभी रजिस्ट्रियों के इंतकाल दर्ज नहीं होना चाहिए थे, मगर हैरानी की बात है कि अधिकांश ने इसका इंतकाल भी दर्ज करवा लिया। यहां तक कि फर्जी जीपीए के आधार पर हुई रजिस्ट्रियों का दाखिल-खारिज भी हो गया। इस पर तत्कालीन डीसी प्रभजोत सिंह ने जांच भी कराई थी, मगर इसके कुछ दिन बाद ही उनका तबादला हाे गया और फिर यह ठंडे बस्ते में दबा दिया गया। इस मामले की शिकायत सीएम मनोहर लाल के दरबार में भी हो चुकी है, मगर अफसरशाही इस मामले को हमेशा से ही दबाती रही।

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