सपा का शासन एक समुदाय तक ही शासन सीमित रहा और खासकर दलितों और अति पिछड़े वर्गों के संतों, गुरुओं और महापुरुषों के साथ अधिकांश समय इनका सौतेला रवैया रहा। मायावती ने दावा किया कि अखिलेश यादव की सपा सरकार ने प्रदेश में एससी-एसटी (अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति) का सरकारी क्षेत्रों में पदोन्नति में आरक्षण खत्म कर दिया था, इसकी व्यवस्था पहली बार बसपा की सरकार में की गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एससी-एसटी के छात्रों को विदेश जाकर पढ़ाई करने की योजना को सपा सरकार ने खत्म कर दिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सपा शासन में पंचशील नगर का नाम बदलकर हापुड़ कर दिया था, संत रविदास नगर का नाम बदलकर भदोही कर दिया, भीम नगर का नाम बदलकर संभल कर दिया और इसी प्रकार कई जिलों का नाम सपा सरकार ने बदल दिया। उन्होंने तंज किया कि अखिलेश यादव का यही समाजवाद है और ऐसे समाजवादी को किसी भी कीमत पर अपना वोट नहीं देना है।
बीजेपी सरकार में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं: मायावती
मायावती ने आरोप लगाया कि धर्म के नाम पर हमेशा यहां पर तनाव और नफरत का वातावरण बना रहा और प्रदेश में अपराध भी वर्तमान भाजपा सरकार में काफी बढ़े, खासकर दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं इस सरकार में कतई सुरक्षित नहीं रहे हैं। उन्होंने उन्नाव कांड का उदाहरण दिया और मीडिया में सच्चाई दबाने का भी आरोप लगाया। बसपा प्रमुख ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि दलितों और पिछड़ों को मौजूदा भाजपा सरकार में आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि ज्यादातर सरकारी कार्य निजी क्षेत्र से कराये जा रहे हैं जिसके लिए आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी नौकरियों में भी इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया जाता है। उन्होंने भाजपा सरकार में अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया।