दशकों बाद ऐसा है कि देश के सबसे बड़े सूबे की चुनावी फिजां से फिल्मी डायलॉग और मंचों से ग्लैमर लगभग पूरी तरह गायब हैं। इस बार यूपी की पूरी चुनावी दाल ही बिना ग्लैमर के तड़के के ही पक रही है।
मायानगरी से सियासत की गलियों का रिश्ता पुराना है। रुपहले पर्दे वालों को राजनीति की चकाचौंध खासी आकर्षित करती रही है। तमाम ऐसे नाम हैं, जिन्होंने रंगमंच से राजनीति के मंच का रुख किया। जिन्हें रास आई वो रुक गए और बहुतों ने वापसी कर ली। तमाम ऐसे फिल्मी सितारें भी हैं, जो सीधे तौर पर भले राजनीति में न आए हों लेकिन पार्टियां जिनकी शौहरत का इस्तेमाल चुनावी भीड़ बटोरने के लिए करती रही हैं। मगर यह चुनाव इस मायने में पूरी तरह अलग है।
हालात यह हैं कि गैर-राजनैतिक फिल्मी चेहरे तो छोड़िए सिने जगत से आए सियासी चेहरे भी इस चुनाव में नदारद हैं। हेमा मालिनी मथुरा से भाजपा सांसद हैं। स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम तो है मगर अभी तक वो सिर्फ मथुरा के एकाध चुनावी मंच तक ही सीमित दिखी हैं। राजबब्बर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। मगर चुनावी सीन से पूरी तरह नदारद हैं। गोरखपुर के सांसद और भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन जरूर एकाध जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
रामपुर की सांसद रहीं जयप्रदा अब भाजपा में हैं। आजम खां से उनकी निजी अदावत है। मगर दूसरी जगह तो छोड़िए वो उस इलाके में भी नहीं पहुंची जिसकी उन्होंने सदन में नुमाइंदगी की है। इस फेहरिस्त में एक नाम महानायक अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन का भी है, जो सपा की राज्यसभा सांसद हैं। स्टार प्रचारकों की फेहरिस्त में नाम तो जुड़ा लेकिन जया ने अभी यूपी का रुख नहीं किया है।
राजपाल दिखे न उनकी पार्टी
अभिनेता राजपाल यादव ने 2017 में बड़े जोर-शोर से यूपी की राजनीति में कदम रखा था। उन्हें सर्व संभाव पार्टी बनाई थी। मगर इस चुनाव में अभी तक न राजपाल दिखे और न ही उनकी पार्टी का कोई अता-पता है। बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग उठाने वाले राजा बुंदेला का भी इस बार कोई अता-पता नहीं है।
कोरोना भी कारण, दलों ने भी नहीं दिखाई दिलचस्पी
यूपी का चुनाव इस बार कोरोना महामारी के साए में हो रहा है। फिल्मी सितारों का प्रयोग पार्टियां भीड़ जुटाने के लिए करती रही हैं मगर इस बार चुनाव आयोग ने भीड़ को लेकर कई बंदिशें लगा रखी हैं। हालांकि धीरे-धीरे छूट देने का सिलसिला शुरू हुआ है। उधर, दलों ने भी इस बार फिल्मी सितारों को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। जानकारों का यह भी कहना है कि कोरोना सहित कई अन्य कारणों से फिल्म इंडस्ट्री फिलहाल खुद ही अवसाद में है।