तीसरे और चौथे चरण में बुंदेलखंड की 19 सीटों पर मतदान होना है। अब लाख टके का सवाल यह है कि बुंदेलों की धरती इस बार किसका राजतिलक करेगी?क्योंकि सत्ता के संग्राम में यह भूमि बारी-बारी से सबको आशीर्वाद देती रही है। पिछले चुनाव में तो बुंदेलखंड भगवा खेमे पर इस कदर फिदा हुआ कि और किसी का खाता ही नहीं खुलने दिया था।
बुंदेलखंड की बात करें तो आजादी के बाद से यह इलाका कांग्रेस का मजबूत किला समझा जाता था। यह सिलसिला 80 के दशक तक बदस्तूर चला। मगर उसके बाद से यहां की राजनीति ने करवट लेनी शुरू की। दलितों की बहुलता वाले इस इलाके में कांशीराम ने पहले दलितों को एकजुट किया। फिर मायावती संग मिल कर यहां दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूती देनी शुरू की। मंडल कमीशन ने दलितों-पिछड़ों की राजनैतिक महत्वकांक्षा को हवा दे दी।
इधर, भाजपा हिन्दुत्व को धार दे रही थी तो मुलायम सिंह यादवों और मुस्लिमों का समीकरण बनाने में जुटे थे। फिर एक बार सभी दल बुंदेलखंड का किला फतह करने को दम लगा रहे हैं। इस बार अनुप्रिया पटेल का अपना दल भी इस इलाके में एंट्री पाने को प्रयासरत है। एनडीए गठबंधन में उनके हिस्से मऊरानीपुर और मानिकपुर सीटें आई है।
बसपा को 2007 में मिली थीं 15 सीटें
बुंदेलखंड ने नीले खेमे का भी खूब साथ दिया। मायावती को सूबे की सत्ता दिलाने में यह इलाका भी अपना योगदान देता रहा। वर्ष 2007 में तो जब बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनीं तो बुंदेलखंड ने 15 सीटों का योगदान दिया जबकि वर्ष 2012 के चुनाव में बसपा को यहां सात सीटें मिली थीं
सपा ने 2012 में किया सबसे बेहतर प्रदर्शन
मुलायम मुस्लिम-यादव गठजोड़ बना कर तीन बार सूबे की सत्ता में भले पहुंचे हों लेकिन बुंदेलखंड की उसमें कोई खास भूमिका नहीं रही। इस बेल्ट में सपा ने सबसे बेहतर प्रदर्शन 2012 के चुनाव में किया था। तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और उनकी पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं। पार्टी नेताओं को इस बार बुंदेलखंड में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वर्ष 2007 और 2012 के चुनावों में उसे 4-4 सीटें मिली थीं।
वर्ष 2017 में भाजपा ने किया क्लीन स्वीप
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड ने एक नया इतिहास रचा। यह पूरा इलाका मोदी लहर पर इस कदर सवार हुआ कि किसी दूसरे की ओर देखा तक नहीं। नतीजा, यह हुआ कि इस बेल्ट की सभी 19 सीटें जीत कर भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। पार्टी फिर इस इलाके में पुराना प्रदर्शन दोहराने को पूरा जोर लगा रही है।
बुंदेलों की धरती पर दिग्गजों का डेरा
बुंदेलखंड की धरती को सभी दलों के दिग्गज मथ चुके हैं। चुनावी घोषणा से पहले 19 नवंबर को बुंदेलखंड में अरबों की योजनाओं के उद्घाटन-शिलान्यास करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। अखिलेश यादव का विजय रथ भी यहां घूम चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बुंदेलखंड के लगभग सभी जिलों की यात्रा कर चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह यहां कई कार्यक्रम कर चुके हैं। बसपा प्रमुख मायावती की भी उरई के कोंच में चुनावी जनसभा हो चुकी है। अब देखना यह है कि बुंदेलखंड का दिल इस बार किस पर आता है।