जालंधर: क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर की अलमारी या डिब्बे में पड़ी एक्सपायरी दवाइयां कितनी खतरनाक हो सकती हैं? ज्यादातर लोग नहीं सोचते। जालंधर जैसे बड़े शहर में जहां आधुनिक अस्पताल और मैडीकल स्टोरों की भरमार है वहां करीब 80 प्रतिशत लोगों को यह तक नहीं पता कि एक्सपायरी दवाइयां कहां और कैसे फैंकनी चाहिए। ये दवाइयां सीधे कूड़े या नालियों में चली जाती हैं, जहां से ये इंसानों, जानवरों और पर्यावरण को (this news will surprise) गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं।एक्सपायरी दवाइयां समय के साथ जहरीले कैमिकल में बदल जाती हैं।
ऑशहर की गलियों में, मोहल्लों में और यहां तक कि पॉश इलाकों में भी लोग एक्सपायरी दवाइयों को सामान्य कूड़े में फैंका हुआ देखा जा सकता है। कई बार ये दवाइयां सीधा नालियों में बहा दी जाती हैं। कुछ लोग तो यह सोचते हैं कि पानी में बहा देने से बात खत्म हो जाएगी और यही दवाईयां जमीन में रिस कर पानी को जहरीला बना रही हैं। 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग यह भी नहीं जानते कि ऐसी दवाइयां घरेलू कचरे में डालने से क्या खतरे हो सकते हैं। न तो स्कूलों में, न ही स्वास्थ्य केंद्रों में इस बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश हो रही है।
this news will surprise – जालंधर में हर मोहल्ले में कूड़े के ढेर पर आवारा मवेशी या कुत्ते घूमते रहते हैं। एक्सपायरी दवाइयों के कैमिकल उनके शरीर में जाकर सीधे असर डालते हैं, जिससे उनकी मौत तक हो सकती है। नालियों में बहाई गई दवाइयां सीधे शहर के सीवरेज सिस्टम से होकर नदियों और भूमिगत जल में पहुंचती हैं। इससे पीने का पानी भी जहरीला हो सकता है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। मिट्टी में जाकर ये दवाइयां उसकी उर्वरता को नुकसान पहुंचाती हैं।