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    Home » NDA के लिए सबसे बड़ी चुनौती: 18 जिलों में से वह सीट जहां 10 साल से नहीं खुला खाता, जानिए अब किसका पलड़ा भारी

    NDA के लिए सबसे बड़ी चुनौती: 18 जिलों में से वह सीट जहां 10 साल से नहीं खुला खाता, जानिए अब किसका पलड़ा भारी

    October 8, 2025 बिहार 4 Mins Read
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    बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेदी बज चुकी है. चुनाव तारीखों का ऐलान हो चुका है. 2 चरणों में वोट डाले जाएंगे. चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद भी अभी तक बिहार के दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग को लेकर कवायद तेज हो चुकी है, लेकिन सीटों को लेकर घटक दलों के बीच मामला कहीं न कहीं उलझा हुआ है. महागठबंधन हो या एनडीए हर ओर तनाव की स्थिति बनी हुई है, और अभी तक कोई ऐलान नहीं हो सका है.

    पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर वोटिंग कराई जानी है. इन सभी जिलों में चुनावी हलचल तेज हो चुकी है. लेकिन अभी तक बड़ी पार्टियों की ओर से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया गया है. ऐसे में सीटों के आधार पर सियासी स्थिति अभी भी अस्पष्ट है. पहले चरण में जिन 18 जिलों में वोटिंग होनी है उसमें एक जिला ऐसा भी है जहां पर पिछले चुनाव में सत्तारुढ़ एनडीए का खाता तक नहीं खुल पाया था.

    18 जिलों में 6 जिलों में बराबरी का मुकाबला

    उत्तर प्रदेश से सटे गोपालगंज और सीवान के साथ-साथ बक्सर, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय और भोजपुर में पहले चरण के तहत वोटिंग कराई जानी है. अगर इन जिलों में 2020 के चुनाव के आधार पर देखें तो महागठबंधन को एनडीए से अधिक सीटें हासिल हुई थी.

    18 में से 6 जिलों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला बराबरी का रहा था, तो 6 जिलों में महागठबंधन तो 6 जिलों में एनडीए ने बाजी मारी थी. महागठबंधन का प्रदर्शन इस मायने में खास रहा क्योंकि उसे बड़े जिलों में जीत मिली थी, और एनडीए ने छोटे-छोटे जिलो में जीत हासिल की थी. इसी में एक जिला है बक्सर, जहां काफी कोशिश करने के बाद भी एनडीए अपना खाता तक नहीं खोल पाया था.

    बक्सर में NDA को मायूसी, बाजी मार ले गई कांग्रेस

    बक्सर जिले में विधानसभा की 4 सीटें आती हैं जिसमें बहरामपुर, बक्सर, डुमरांव और राजपुर शामिल हैं. इसमें राजपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. लेकिन इन चारों सीटों में से एक पर भी बीजेपी को जीत नहीं मिली. बहरामपुर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल को जीत मिली तो बक्सर से कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी विजयी हुए. इसी तरह डुमरांव सीट पर सीपीआई-एमएल-एल का कब्जा हो गया. रिजर्व सीट राजपुर पर कांग्रेस को जीत मिली. इस तरह से पार्टी के आधार पर कांग्रेस का प्रदर्शन अन्य किसी भी दल की तुलना में बढ़िया रहा और 4 में से 2 सीटें अपने नाम करने में कामयाब रही.

    खास बात यह रही कि इन 4 सीटों में से एनडीए की ओर से सिर्फ एक सीट (बक्सर) पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया था. बीजेपी को यहां पर कड़े मुकाबले में 3,892 मतों के अंतर से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. बहरामपुर सीट पर एनडीए की ओर से विकासशील इंसान पार्टी ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया और वह तीसरे स्थान पर रहा था. दूसरे नंबर पर चिराग पासवान की पार्टी रही थी. जीत आरजेडी को मिली थी. जबकि डुमरांव और राजपुर में जेडीयू को दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा. डुमरांव सीट सीपीआई-एमएल-एल तो राजपुर सीट कांग्रेस के पास गई.

    2015 के चुनाव में खाता नहीं खोल सका था NDA

    साल 2015 के चुनाव में भी एनडीए का यहां पर खाता नहीं खुला था. बहरामपुर सीट पर आरजेडी और बक्सर पर कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि डुमरांव और राजपुर सीट पर तब जेडीयू को जीत मिली थी, लेकिन तब नीतीश कुमार की पार्टी महागठबंधन का हिस्सा हुआ करती थी. जेडीयू अब एनडीए के साथ है, साथ में चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति भी साथ में है. लेकिन 2020 में एनडीए के साथ चुनाव लड़ने वाली मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी अब महागठबंधन के साथ है.

    बक्सर जिले में परिणाम के हिसाब से आरजेडी की अगुवाई वाला महागठबंधन मजबूत स्थिति में दिख रहा है, अब देखना होगा कि बदले हालात के बीच एनडीए 10 साल से भी लंबे इंतजार को खत्म करते हुए बक्सर में इस बार अपना खाता खोल पाता है या नहीं. या फिर महागठबंधन का सिक्का इस बार भी चलेगा.

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