
शिक्षक जय भगवान शास्त्री
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कैथल के कठवाड़ गांव के राजकीय उच्च विद्यालय में पढ़ाने वाले अध्यापक जय भगवान शास्त्री ने संस्कृत भाषा को लोक भाषा बनाने का बीड़ा उठाया है। अध्यापक जयभगवान इस पर वर्ष 2019 से कार्य कर रहे हैं। वह संस्कृत स्वरचित लोक गीत, नाटक व संवाद के जरिये संस्कृत विषय को बढ़ावा देना दे रहे हैं। इस कार्य को सफल बनाने के लिए उनके साथ 30 युवा नाटकों की प्रस्तुति देने के लिए व 10 अध्यापक उनके साथ जुड़े हुए हैं।
संस्कृत भाषा में 25 गीत लिखे
वह अब तक संस्कृत भाषा में 25 गीत लिख चुके हैं, वहीं हिंदी भाषा में भी वे करीब 30 गीत लिख चुके हैं। जानकारी कि उन्होंने संस्कृत में पहला सबसे प्रसिद्ध गीत ‘रम्या रम्या संस्कृत…’ व हिंदी भाषा में ‘बच्चे हैं हम तेरे हमें दो विद्या का दान, नमो नमो मां सरस्वती दूर करो अज्ञान…’ लिखा है।
सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर लोगों को जागरूक किया
अध्यापक जयभगवान ने बताया कि वह गीतों के जरिये राजकीय स्कूलों में दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताकर स्कूलों को नामांकन बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत में पढ़ने वाले बच्चों को विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियां दी जाती हैं, जिनके बारे में युवाओं को पता नहीं है। वह इसके लिए युवाओं को सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर उन्हें जागरूक करते हैं। अब तक वह लगभग 150 विद्यार्थी व लगभग 30 स्कूलों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के लिए आवेदन चुके हैं।
संस्कृत भाषा में गीत गाकर ही विद्यार्थियों को पढ़ाते
उन्होंने इंटर राष्ट्रीय स्तर पर दो विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा में प्रस्तुति दिलाकर उन्हें नकद पुरस्कार व प्रमाणपत्र भी दिलवाए हैं। उन्होंने बताया कि वह राजकीय उच्च विद्यालय कठवाड़ में संस्कृत भाषा में गीत गाकर ही विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ताकि वे आसानी से पढ़ सकें और उन्हें पढ़ाया हुआ ज्यादा समय तक याद रहे।
संस्कृत विषय में 100 अंक प्राप्त किए
अध्यापक जयभगवान ने बताया कि उन्होंने युवाओं व अध्यापकों के संग मिलकर संस्कृत संरक्षण मंच बनाया हुआ है। इसके माध्यम से 10वीं और 12वीं के बच्चों को सम्मानित किया गया। इनमें वो बच्चे शामिल थे, जिन्होंने संस्कृत विषय में 100 अंक प्राप्त किए है। जिलेभर से 13 विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इसके साथ ही संस्कृत भाषा के लिए जागरूक करने वाले 32 युवाओं को भी सम्मानित किया।