आम आदमी पार्टी नेता दुर्गेश पाठक से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया, जिसमें पाठक की 2022 के विधानसभा उपचुनाव में उनके निर्वाचन को लेकर दायर याचिका को खारिज किया गया था. पीठ ने हाई कोर्ट की टिप्पणी को खारिज करते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत पाठक की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उनके निर्वाचन के खिलाफ (rejected the comments of delhi high court) चुनाव याचिका की विचारणीयता को चुनौती दी गई थी. इसमें कहा गया था कि यह भविष्य में उनके चुनाव लड़ने में बाधा साबित नहीं होगी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि दुर्गेश पाठक ने 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे. राजन तिवारी नाम के एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में पाठक के चुनाव को चुनौती दी थी, लेकिन उनके वकील ने कहा कि चुनाव याचिका अब निरर्थक हो गई है और उन्होंने याचिका वापस लेने की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 नवंबर को इस मामले में राजन तिवारी से जवाब मांगा था. साथ ही चुनाव याचिका पर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. पिछले साल 4 नवंबर को कोर्ट ने पाठक को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा था कि उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं है, सिवाय उस एफआईआर के जिसका खुलासा उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करते समय किया था.
पाठक ने पिछले साल 8 जुलाई को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने तिवारी की याचिका खारिज करने से इनकार कर दिया था. तिवारी ने जून 2022 में हुए उपचुनाव में राजिंदर नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में दुर्गेश पाठक के चुनाव को चुनौती दी थी और आरोप लगाया था कि वो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.
राजन तिवारी ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
पाठक ने उपचुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 11,468 मतों के अंतर से हराया था. हाई कोर्ट ने पाठक की उनके खिलाफ दायर चुनाव याचिका को खारिज करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उस स्तर पर ऐसा करने का कोई औचित्य नहीं है.
rejected the comments of delhi high court – बता दें कि राजिंदर नगर के मतदाता होने का दावा करने वाले राजन तिवारी ने आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने, नामांकन की जांच की तिथि पर लाभ का पद धारण करने, आयकर रिटर्न को छिपाने और नामांकन फॉर्म में एक कंपनी में शेयरों के गलत मूल्यांकन का खुलासा करने के आधार पर पाठक के चुनाव को चुनौती दी.
सॉलिड वेस्ट मामले में कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिड वेस्ट से जुड़े मामले में बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, जहां कचरे का स्रोत है, उसी जगह उसे अलग करना पर्यावरण के लिए जरूरी है. कोर्ट ने एनसीआर के राज्यों से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 के पालन को लेकर भी जानकारी ली. कोर्ट ने कहा कि नियमों का पालन न करने से देश के सभी शहर प्रभावित हुए हैं.