• 78 वां मनाया जा रहा है वार्षिकोत्सव

बलरामपुर। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में भगवतीगंज मे श्री राम लीला महोत्सव का कार्यक्रम किया जा रहा है। इसका आयोजन श्री श्री 108 श्री राम लीला संकीर्तन समिति भगवतीगंज के द्वारा किया जा रहा है । इस बार 78 वां वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है।

जिसमें भगवतीगंज रामलीला में भूमिका निभाने वाले राम जी का पाठ’ नमन शर्मा,सीता जी का बालाजी गुप्ता व लक्ष्मण का रोल अंकित शर्मा, परशुराम जी रोल टोनी पाठक, जनक मथुरा प्रसाद गुप्ता, रावण संतोष पाठक, वाणासुर विकास मोदनवाल, आदि ने अपने अभिनय की छाप गहरी छाप छोड़ी।

महाराज जनक का जैसे ही प्रवेश होता है। वे राम-लक्ष्मण को देख मोहित हो जाते हैं, और दोनों सुकुमारों का परिचय पूछते हैं। विश्वामित्र दोनों का परिचय देते हुए कहते हैं कि ‘दोनों हैं पुत्र अवध नृप के है नाम’ राम,लक्ष्मण इनका यह बली गुणी उत्साही हैं, किस विधि से हो वर्णन इनका, राजा जनक दोनों कुमारों को धनुषयज्ञ में लाने का निवेदन विश्वामित्र से करते हैं।

अगले दृश्य में राम-लक्ष्मण नगर भ्रमण की इच्छा से निकलते हैं जनकपुर के नर – नारी दोनों की मनमोहक छवि देख कर निहाल हो उठते हैं। मंचन के क्रम में ऋषि विश्वामित्र की पूजा के लिए फूल लाने को भगवान श्रीराम पुष्पावाटिका पहुंचते हैं तभी माता सीता भी पार्वती मंदिर में पूजा के लिए सखियों के संग पहुंचती हैं।

पुष्पवाटिका में सीताजी और रामजी की दृष्टि मिलती है, सखियां गाती हैं ‘राम रघुराई की झरोखे झांकी की जैरी’। उधर राम कहते हैं कि हे लक्ष्मण बड़ा अचंभा है, सारा उपवन झंकार उठा छा गई सरसता कमलों में भ्रमरों का दल गुंजार उठा, अगले दृश्य में उद्घोषक सीता स्वयंवर के लिए नगर वासियों को सूचना दे रहा है।

दूसरे दृश्य में धनुष महोत्सव के लिए दरबार सजा होता है। राजा जनक द्वारा एक-एक करके सभी राजाओं को धनुष भंग के लिए आमंत्रित किया जाता है, स्वयंवर में रावण व वाणासुर भी पहुंचे हैं जब देश भर के भूपति धनुष उठाने में विफल हो जाते हैं।

तो राजा जनक निराश होकर कहते हैं, ‘हे द्वीप – द्वीप के राजागण हम किसे कहें बलशाली हैं, हमको तो ये विश्वास हुआ पृथ्वी वीरों से खाली है,यह सुनते ही लक्ष्मण क्रोधित हो जाते हैं, राम उन्हें शांत कराते हैं फिर गुरू विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम उठते हैं, श्रीराम जी जैसे ही धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं वह भयंकर आवाज से टूट जाता है।

जनकपुर में चारों ओर उल्लास,खुशियां छा जाती हैं। वहीं माता सीता प्रभु श्रीराम के गले मे वर माला डालती हैं। बधाई गीत व नृत्य गीत के दृश्यों के बीच सीता स्वयंवर के मंचन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया रामलीला के ही क्रम में धनुषभंग के बाद परशुराम जी जनक के दरबार में पहुंचते हैं इस दौरान परशुराम व लक्ष्मण के संवाद ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

क्रोधित अवस्था में पहुंचे परशुराम की दृष्टि टूटे धनुष पर पड़ती है। जनक पर क्रोधित होकर कहते हैं ‘ओ मूर्ख ! जनक जल्द बतला यह धनवा किसने तोड़ा है, तभी चारों ओर मौन छा जाता है’ तब श्रीराम कहते हैं ‘शिव धनुष तोड़ने वाला भी कोई शिव प्यारा ही होगा,जिसने ऐसा अपराध किया वो दास तुम्हारा ही होगा इसके बाद परशुराम व लक्ष्मण का संवाद शुरू होता है।’

जो दर्शकों का मन मोह लेता है परशुराम की भूमिका में टोनी पाठक ने भक्तों को आकर्षित किया रामलीला में माता सीता का किरदार निभाते बाला जी गुप्ता ने कहा कि अयोध्या आकर अभिभूत हूं भगवान श्री रामचंद्र के आशीर्वाद से ही अयोध्या आई हूं राम-सीता का जो प्यार है वह हर पति-पत्नी को अपने आचरण में ढालना चाहिए माता सीता के किरदार को निभाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

जिसमें रामलीला कमेटी के उपाध्यक्ष विजय अग्रवाल महामंत्री सुनील गुप्ता कमलापुरी, मंत्री राजेश कुमार केसरवानी, राजकुमार अग्रवाल,सहमंत्री राकेश चंद्र केसरवानी,दुलीचंद गोयल,रवीन्द्र गुप्ता कमलापुरी युवा समाजसेवी बलरामपुर,पवन कुमार शर्मा,सुभाष अग्रवाल,ओम प्रकाश गुप्ता,महेश कुमार अग्रवाल,नरेंद्र कुमार शर्मा,शरद कुमार गुप्ता,सुशील अग्रवाल, सुशील शामिल थे।

इसी के साथ गुप्ता,भानु साहू,अशोक कुमार गुप्ता,महेश गुप्ता लकी,शैलेंद्र शर्मा बबलू, जवाहर लाल,सतीश कुमार जयसवाल प्रमोद गुप्ता बृजेश कुमार दुर्गाशंकर,माधवराम गुप्ता, राजेश कुमार विश्वकर्मा,रोहन गुप्ता निक्कू,व रामलीला कमेटी के आदि लोग सैकड़ों की संख्या में भीड़ रही।

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