मंदसौर। श्रावण के अंतिम सोमवार को श्री पशुपतिनाथ महादेव की राजसी सवारी निकली। मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद रथ में सवार भगवान आशुतोष शहर में भ्रमण कर आठ घंटे तक भक्तों को रथ से ही दर्शन देंगे। सोमवार सुबह विशेष पूजा-अर्चना और शृंगार के बाद भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव की रजत प्रतिमा राजसी रथ में (last monday of shravan) विराजित की गई। इसके बाद राजसी सवारी को लेकर शहर भ्रमण पर निकले भक्तों में खासा उत्साह रहा।
मंदिर परिसर से सवारी में बाबा पशुपतिनाथजी हमेशा की तरह पूरे शाही ठाठ-बाठ से ही निकले। राजसी सवारी में मुंबई, बड़ोदरा और झाबुआ के ढोल-नगाड़ों से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया। ताशे और मंदसौर के ढोल व बाजे भी विशेष आकर्षण का केन्द्र रहें। भगवान श्री पशुपतिनाथ प्रात:काल आरती मंडल के तत्वावधान में निकली शाही सवारी का यह 29वां वर्ष है।
सावन मास के अंतिम सोमवार को सुबह से ही भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर परिसर में भी भक्तों का तांता लगा रहा। सुबह भगवान श्री पशुपतिनाथजी की रजत प्रतिमा का विधि-विधान से विद्वान पंडितों ने अभिषेक कराया। इसके बाद पूजन-अर्चन कर भगवान की रजत प्रतिमा का भांग, सूखे मेवे, अबीर, गुलाल, कंकु, अक्षत, सहित अनेक प्रकार के फूलों से नयनाभिराम शृंगार किया गया।
last monday of shravan – फिर भगवान की प्रतिमा को फूलों से सुसज्जित रथ में विराजित कराया गया। सुबह रजत प्रतिमा की आरती संतों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों एवं कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई। पुलिस की एक चार के गार्ड ने भगवान को सलामी दी।