बुधवार को दिल्ली की एक अदालत ने आतंकी फंडिंग के एक मामले पर फैसला देते हुए यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यासीन मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल संख्या सात की (Separate Cell) अलग सेल में रखा गया है। कोर्ट ने यासीन मलिक को सजा सुनाते हुए कहा कि यासीन मलिक द्वारा किए गए अपराध अखंड भारत की सोच और उद्देश्य के खिलाफ थी और उसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत संघ से जबरदस्ती तोड़ना था। ये भी बताते चलें कि यासीन मलिक आतंकी फंडिंग के मामले में दोषी है इसलिए वह किसी पैरोल या फरलो का भी हकदार नहीं है।
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Separate Cell – आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच अलग सेल में रखा है। जानकारी के मुताबिक सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए यासीन मलिक को कोई काम नहीं सौंपा जाएगा। समय-समय पर उसकी उसके सेल की निगरानी भी की जा रही है। गौरतलब है कि तिहाड़ जेल की बैरक नंबर सात में पहले भी कई हाई प्रोफाइल कैदी रह चुके हैं। इसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा, सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय, क्रिश्चियन मिशेल शामिल हैं। आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने से पहले भी मलिक को एक अलग सेल में रखा गया था, जहां वह जेल नंबर सात में अकेला रहता था।
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आतंकवाद विरोधी कानून और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने एनआईए की फांसी की मांग को खारिज करते हुए मलिक को अलग-अलग जेल की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक आजीवन कारावास का मतलब अंतिम सांस तक कैद है।पिछली सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा था कि वो अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को चुनौती नहीं देगा। उसने कहा था कि वो निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती भी नहीं देगा क्योंकि वो खुद को हर तरह से दोषी मानता है। आतंकवादी से नेता बने यासीन मलिक को लगभग 13,000 कैदियों से दूर जेल के अंदर अकेला रखा जाएगा।