लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पीजीआई थाने में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा द्वारा रामचरितमानस के कथित तौर पर महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी वाले पन्नों की फोटोकॉपी (Photocopies Burning Case) जलाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
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पुलिस ने बताया कि सतनाम सिंह लवी नाम के व्यक्ति की शिकायत पर यहां पीजीआई थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रामचरितमानस के पन्नों की प्रति जलाने से शांति को खतरा है। उन्होंने बताया भारतीय दंड संहिता की धारा 142, 143, 153 ए, 295, 295 ए, 298, 504, 505, 506 और 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है। प्राथमिकी में मौर्य के अलावा देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येंद्र कुशवाहा, महेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, एसएस यादव, संतोष वर्मा, सलीम और अन्य अज्ञात शामिल हैं।
Photocopies Burning Case – इस बारे में पूछे जाने पर सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) कैंट अनूप कुमार सिंह ने कहा कि हां मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई है। हालांकि इससे अधिक जानकारी होने से उन्होंने अनभिज्ञता जताई। उल्लेखनीय है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले श्रीरामचरितमानस के ‘पन्ने’ की ‘फोटोकॉपी’ जलायीं।
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अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने मौर्य के समर्थन में लखनऊ के ‘वृंदावन योजना’ सेक्टर में ‘सांकेतिक’ विरोध प्रदर्शन करते हुए श्रीरामचरित मानस के पन्ने की छायाप्रतियां जलायीं। महासभा के पदाधिकारी देवेंद्र प्रताप यादव ने बताया था, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में बताया गया है कि हमने रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थीं, यह कहना गलत है। रामचरितमानस की आपत्तिजनक टिप्पणियों की फोटोकॉपी जो ‘शूद्रों’ (दलितों) और महिलाओं के खिलाफ थीं और
फोटोकॉपी पेज को सांकेतिक विरोध के रूप में जला दिया।