नई दिल्ली : वामपंथ के गढ कहे जाने वाले जवाहर लाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन निकाला है। स्वयंसेवकों के पथ संचलन (Path Movement In JNU) के दौरान जमकर लगे भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे। पथ संचलन में जेएनयू के विभिन्न केन्द्रों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्वयंसेवक सहभागी रहे।
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Path Movement In JNU – उल्लेखनीय है कि विजयादशमी के दिन वर्ष 1925 में संघ की स्थापना हुई थी। संघ की स्थापना को इस वर्ष 98 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसी उपलक्ष्य में संघ के स्वयंसेवकों के आज (रविवार) देर शाम जेएनयू कैंपस के भीतर पथ संचलन का आयोजन किया। पूर्ण गणवेश में घोष (संघ का अधिकृत बैंड) की धुन पर राष्ट्रभक्ति के गीत गाते स्वयंसेवकों ने पूरे जेएनयू परिसर की परिक्रमा की।
हालांकि वामपंथी छात्र संगठन आइसा ने एक बयान जारी कर परिसर के भीतर संघ के पथ संचलन को लेकर विरोध प्रकट किया है। उसका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर के भीतर संघ की शाखा या उसके प्रदर्शन की अनुमति देकर गलत काम किया है।वहीं आइसा के विरोध पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने प्रतिक्रिया दी है कि वामपंथी छात्र संगठन का विरोध बेमानी है और उसका कोई अर्थ नहीं है। अभाविप का कहना है कि यह पथ संचलन इस कैंपस में रहकर पढ़ रहे संघ के स्वयंसेवकों का था और इसमें कहीं से भी किसी का अहित नहीं होता है।
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विद्यार्थी परिषद की ओर से कहा गया कि एक समय था जब वामपंथ के इस गढ़ में संघ की शाखा आदि लगाने पर हिंसक हमले किए जाते थे। कैंपस के बाहर से लोगों को बुलाकर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगावाए जाते थे। यहां तक कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में सुरक्षा बलों के बलिदान पर कुछ लोग जश्न मनाते थे। उन्हें समझ लेना चाहिए कि वह दौर बीत गया। यह नया भारत है और वह भारतीयता के मूल्यों पर चलता है।