जालंधर : पंजाब में कांग्रेस पार्टी जहां एक ओर लुधियाना (पश्चिम) विधानसभा उपचुनाव के लिए पूरे जोश के साथ तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पार्टी जालंधर में पार्टी भीतर से बिखरती नजर आ रही है। जिले में पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ते ध्रुवीकरण ने कांग्रेस को दो गुटों में विभाजित कर दिया है। इस मतभेद का असर केवल संगठनात्मक ढांचे पर ही नहीं, बल्कि पार्टी के आगामी कार्यक्रमों, विशेषकर “संविधान बचाओ रैली” जैसी हलों पर (Wading Bajwa vs Channi Rana) भी स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।
जालंधर जिला की ही बात करें तो 9 विधानसभा हलकों से संबंधित विधायक और हलका इंचार्ज चाहें पिछले समय दौरान हरेक कार्यक्रम में एकजुट रहने का दावा करते आ रहे है, परंतु अब प्रदेश लीडरशिप में वड़िंग-बाजवा बनाम चन्नी-राणा गुट में शुरू हुए खुले संघर्ष से बने नए समीकरणों के कारण जिला स्तर पर भी गुटबाजी उभर गई है।
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पिछले दिनों लुधियाना के दाखा में आयोजित कांग्रेस की एक रैली में फिल्लौर के विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी का औपचारिक स्वागत किया गया। उनकी निलंबन रद्द होने के बाद यह पहला बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसमें उन्हें पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने का संकेत मिला। यह रैली पीपीसीसी अध्यक्ष राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के नेतृत्व में आयोजित की गई थी।
Wading Bajwa vs Channi Rana – विक्रमजीत सिंह चौधरी की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि वह वड़िंग-बाजवा गुट के साथ हैं। विक्रमजीत वही विधायक हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की उम्मीदवारी का खुलकर विरोध किया था। उनकी बहाली और खुली भागीदारी ने जालंधर में पहले से चल रही गुटबाजी को और अधिक तीखा बना दिया है।