बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर मामला गरमाता जा रहा है. विपक्षी दल इस प्रक्रिया के खिलाफ लगातार मुखर हैं. राज्य की मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision, SIR) के निर्देश देने संबंधी चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने अपनी याचिका में 11 चीजों पर (Manoj Jha reached supreme court) आयोग को घेरने की कोशिश की है.

मनोज झा के अलावा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी आयोग के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है. एडवोकेट फौजिया शकील के जरिए कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में मनोज झा ने कहा कि चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 325 और 326 का उल्लंघन होने के कारण रद्द किया जाना चाहिए.

Manoj Jha reached supreme court – राज्यसभा सांसद ने अपनी याचिका में कहा कि यह विवादित आदेश संस्थागत रूप से वोट डालने के अधिकार से वंचित करने का एक जरिया है और इसका इस्तेमाल वोटर लिस्ट के अपारदर्शी संशोधनों को सही ठहराने के लिए किया जा रहा है, और इसके लिए मुस्लिम, दलित और गरीब प्रवासी समुदायों को टॉरगेट किया गया है.

आरजेडी सांसद मनोज झा का तर्क है कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया “न सिर्फ जल्दबाजी बल्कि गलत समय पर की गई है, इसका असर करोड़ों वोटर्स को मताधिकार से वंचित करने और उनके संवैधानिक मताधिकार से वंचित करने का है.” साथ ही इसके लिए राजनीतिक दलों से कोई विचार-विमर्श भी नहीं किया गया. साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार विधानसभा चुनाव मौजूदा वोटर लिस्ट के आधार पर कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.

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