नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने केंद्रीय बजट पर निराशा जाहिर करते हुए इसे देश को 15 हजार करोड़ के कर्ज में डुबोने वाला और दिल्लीवालों के साथ अन्याय करने वाला बजट बताया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट करके कहा कि इस बजट में (No Relief From Inflation) महंगाई से कोई राहत नहीं है। उलटे महंगाई और बढ़ेगी। इसमें बेरोजगारी दूर करने की भी कोई ठोस योजना नहीं है। शिक्षा पर बजट 2.64% से घटाकर 2.5% करना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य पर बजट भी 2.2% से 1.98% करना हानिकारक है।
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उप मुख्यमंत्री और दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 45 लाख करोड़ के इस बजट में 15 लाख करोड़ का तो कर्जा है। इससे देश पर महंगाई की मार पड़ेगी। महंगाई और बेरोजगारी से लड़ने और खपत बढ़ाकर छोटे व्यापारियों को आगे बढ़ाने की भी कोई योजना है। देश में बेरोजगारी दर 8.3% है, लेकिन इसके बावजूद बेरोजगारी दूर करने के लिए बजट में कोई विजन नहीं दिया गया है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखे तो इसे इन्क्लूसिव ग्रोथ का बजट कहा जा रहा है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मदों में पैसा घटा दिया गया है।
No Relief From Inflation – इनकम टैक्स में छूट के दावे को भी उन्होंने छलावा करार देते हुए पूछा कि इसका फायदा कितने लोगों को मिलेगा, क्योंकि देश में कुल 4 पर्सेंट लोग ही इनकम टैक्स देते हैं और उनमें से 10 पर्सेंट लोगों ने नए टैक्स रिजीम को चुन रखा है। यानी महज 0.4 पर्सेंट लोगों को छूट मिलने को हम गेम चेंजर कह रहे हैं, जबकि सरकार ने सुपर रिच लोगों पर लगने वाला सरचार्ज 37% से घटाकर 25% कर दिया है। लोग इंतजार कर रहे थे कि महंगाई के जमाने में पेट्रोल-डीजल पर कुछ राहत मिलेगी। जरूरी सामान पर लग रहे जीएसटी में छूट मिलेगी तो सामान सस्ता होगा, लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई।
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केंद्रीय बजट में दिल्ली की उपेक्षा पर भी नाराजगी जताते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि अन्य सभी राज्यों को सेंट्रल पूल से 42 पर्सेंट पैसा मिलता है, लेकिन इतने सालों में दिल्ली का एक रुपया भी नहीं बढ़ाया और वर्ष 2001 से ही दिल्ली को 325 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। एमसीडी को भी कोई पैसा नहीं दिया गया, जबकि देश के अन्य नगर निगमों को केंद्र सरकार पैसा देती है।