नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के लाजपत नगर में (Lajpat Nagar Blast Case) 1996 में हुए बम विस्फोट मामले के चार दोषियों को अपराध की गंभीरता का हवाला देते हुए बिना किसी छूट के शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे और लगभग 40 घायल हो गए थे। मामले की सुनवाई में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ती बीआर गवई, न्यायमूर्ती विक्रम नाथ और न्यायमूर्ती संजय करोल की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों की शीघ्र सुनवाई समय की मांग है, खासकर जब यह राष्ट्रीय सुरक्षा और आम आदमी से संबंधित हो। चारों दोषी आरोपी हैं- मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली भट्ट और जावेद अहमद खान।
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पीठ ने कहा कि अपराध की गंभीरता जिसके परिणामस्वरूप निर्दोष व्यक्तियों की मृत्यु हुई और प्रत्येक आरोपी व्यक्ति द्वारा निभाई गई भूमिका को ध्यान में रखते हुए इन सभी आरोपी व्यक्तियों को बिना किसी छूट के आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, जिसे प्राकृतिक जीवन तक बढ़ाया जा सकता है। यदि अभियुक्त जमानत पर हैं, तो उन्हें तुरंत संबंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है और उनके जमानत बांड रद्द कर दिए जाते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के मध्य में एक प्रमुख बाजार पर हमला किया गया है और हम बता सकते हैं कि इससे आवश्यक तत्परता और ध्यान से नहीं निपटा गया।
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Lajpat Nagar Blast Case – पीठ ने कहा कि बड़ी निराशा के साथ हम यह देखने के लिए मजबूर हैं कि यह प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता के कारण हो सकता है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि कई आरोपी व्यक्तियों में से केवल कुछ पर ही मुकदमा चलाया गया है। हमारे विचार में, इस मामले को सभी स्तरों पर तत्परता और संवेदनशीलता के साथ नियंत्रण किया जाना चाहिए था। बता दें कि 21 मई, 1996 की शाम को व्यस्त लाजपत नगर बाजार में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी।