
भारत इस वक्त कोरोना की भयावह लहर का सामना कर रहा है. 24 घंटो की बात करें तो लाखों की संख्या में कोरोना केस निकल रहे हैं, और मौतों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. सभी अपने अपनों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. ऐसी परिस्थितियों में ऑक्सीजन के बाद Remdesivir Injection ही ऐसी चीज है, जिसके लिए जनता दर-दर की ठोकरें खा रही है. हर कोई Remdesivir Injection के लिए लाइन में है.चाहे यह इंजेक्शन उन्हें किसी भी कीमत पर मिल जाए. हम सभी खबरें सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं, कि कैसे रेमडेसिविर की कालाबाजारी धड़ल्ले से चल रही है. कई लोग तो ऐसे हैं जो नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन बेच रहे हैं.देश में चल रही ऐसी परिस्थितियों के दौरान आप सभी का यह जानना बहुत जरूरी है, कि आखिर रेमडेसिविर इंजेक्शन है क्या? और कब मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है… यह भी पढ़े:- NITI Aayog prediction -महाराष्ट्र, गुजरात,दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में हॉट स्पॉट क्या है Remdesivir Injection अमेरिका की कंपनी गिलियंड साइंसेज ने रेमडेसिविर को करीब एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस के इलाज के लिए बनाया था. लेकिन इसे बाजार में उतारने की मंजूरी नहीं मिली. लेकिन कोरोना काल में इसी जीवन रक्षक दवा माना जा रहा है. इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. इसी वजह से इंजेक्शन को लोग महंगी कीमत पर भी खरीदने को तैयार है. चलिए अब जानते हैं मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत कब पड़ती है? विशेषज्ञों की मानें तो हर कोरोना मरीज को रेमडेसिविर लगाने की जरूरत नहीं है. रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना के पहले सप्ताह में वायरल लोड को कम करने में काफी मदद करता है. इस वजह से ही यह कोरोना मैनेजमेंट का हिस्सा है. इसका इस्तेमाल लंग्स खराब होने की स्थिति में किया जाता है. सामान्य लक्षणों वाले मरीजों को रेमडेसिविर नहीं लगाना चाहिए. यह एक एंटी वायरस दवा है, जो कोरोना वायरस का समय कम करने में असरदार है. मृत्यु रोकने मैं यह इंजेक्शन नाकामयाब है.अगर किसी हालत में यह दवा आपको नहीं मिलती तो परेशान ना हो, स्टेरॉयड और खून पतला करने वाले दवा इस रोग में असरदार है. इसके अलावा 12 साल से अधिक उम्र वालों, 40 किलोग्राम से अधिक वजन वालों, और ऐसे कोविड पेशेंट्स जिन्हें किडनी एवं लिवर की बीमारी ना हो, उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती. जो रोगी वेंटिलेटर पर है उसे भी इस इंजेक्शन का कोई फायदा नहीं होता. चलिए जानते हैं आखिर कब देनी चाहिए रेमडेसिविर इंजेक्शन. विशेषज्ञों के मुताबिक बीमारी के पहले सप्ताह में ऑक्सीजन लेवल कम (90से91) होने के साथ-साथ 6 मिनट चलने(6 मिनट वाँक टेस्ट) से सेचुएशन 4 से 5 प्रतिशत घटता है. तेज बुखार आता है. साइटोकाइन मार्क्स बड़े हुए हो, लंग्स में सीटी स्कोर 8 से अधिक हो, इयोसिनोफिल 0 प्रतिष्ठित हो, लिंफोसाइट व पोलीमाँर्फ का अनुपात 3.5 से अधिक हो तो रेमडेसिविर इंजेक्शन देना चाहिए. Image Source:- www.google.com Writer : Himanshi negi |