Kisan Andolan Live: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 56वां दिन है। आज दोपहर 2 बजे किसानों की सरकार के साथ 11वें दौर की बातचीत होगी। इससे पहले 10 बैठकों में से 9 बेनतीजा रही थीं। किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार का कहना है कि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुका है, किसानों को अब इसके अलावा दूसरी मांगों पर बात करनी चाहिए। एक्सपर्ट कमेटी कल किसानों से पहली मीटिंग करेगी कृषि कानूनों के मुद्दे पर समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के 3 सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली में पहली बैठक की। इसमें आगे की प्रक्रिया, कब-कब मीटिंग करेंगे, कैसे सुझाव लेंगे और रिपोर्ट तैयार पर विचार किया गया।
Kisan Andolan Live: कमेटी के मुताबिक 21 जनवरी को समिति किसान संगठनों के साथ बैठक करेगी। जो किसान नहीं आएंगे, उनसे मिलने भी जाएंगे। ऑनलाइन सुझाव लेने के लिए पोर्टल बनाया गया है। 15 मार्च तक किसानों के सुझाव लिए जाएंगे। इससे पहले समिति के सदस्यों की निजी राय कानूनों के पक्ष में होने का हवाला देते हुए उन्हें बदलने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसके पहले के विचारों की वजह से समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई किसान कह चुके हैं कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। दिल्ली ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मुद्दे पर आज सुनवाई होगी इससे पहले सोमवार को कोर्ट ने कहा था कि किसानों को दिल्ली में एंट्री दी जाए या नहीं, यह पुलिस ही तय करेगी, क्योंकि यह कानून-व्यवस्था से जुड़ा मुद्दा है।
अन्ना हजारे 30 जनवरी से भूख हड़ताल करेंगे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसानों के समर्थन में 30 जनवरी से रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू करने का ऐलान किया है। उधर, केंद्र सरकार के निर्देश पर भाजपा की महाराष्ट्र यूनिट ने पूर्व कृषि मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल को अन्ना को मनाने का जिम्मा सौंपा है। विखे पाटिल का प्रभाव क्षेत्र महाराष्ट्र के अहमदनगर का वह इलाका माना जाता है, जहां अन्ना का गांव रालेगण सिद्धि है। किसानों की सरकार से पिछली 10 बैठकों में क्या हुआ
पहला दौरः 14 अक्टूबर क्या हुआ: मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे। दूसरा दौरः 13 नवंबर क्या हुआ: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। तीसरा दौरः 1 दिसंबर क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।
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चौथा दौर: 3 दिसंबर क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे। 5वां दौरः 5 दिसंबर क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे। 6वां दौर: 8 दिसंबर क्या हुआ: भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।
7वां दौर: 30 दिसंबर क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद Kisan Andolan Live: कायम, दो पर रजामंदी बनी। लेकिन 8वां दौर: 4 जनवरी क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है। 9वां दौर: 8 जनवरी क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कति मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।
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10वां दौर : 15 जनवरी
क्या हुआ : मीटिंग करीब 4 घण्टे चली। किसान कानूनी वापसी पर अड़े रहे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हमने आपकी कुछ मांगे मांगी हैं। कानून वापसी की एक ही मांग पर अड़े रहने की बजाय आपको भी हमारी कुछ बातें माननी चाहिए।