
सीएसएसआरआई में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते आईसीएआर के डीडीजी डॉ.सुरेश कुमार चौधरी
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नमामि गंगे के तहत गंगा से पहले उसकी उपनदियों की भी सफाई व उन्हें प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसी क्रम में हिंडन नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के बीच उसे प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में भारत और नीदरलैंड ने संयुक्त रूप से ‘हिंडन रूट्स सेंसिंग’ परियोजना पर काम शुरू किया है। इस नदी क्षेत्र में होने वाली कृषि विशेषकर करीब चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होने वाली गन्ने की फसल से होने वाले प्रदूषण पर फोकस किया जा रहा है।
चुनौती ये है कि इससे जुड़े लाखों किसानों की कृषि उपज को बिना कम किए विशेष तकनीक के जरिये कृषि प्रदूषण रोका जाना है। इसमें सीएसएसआरआई करनाल व आईआईटी रुड़की सहित देश के कई बड़े अनुसंधान केंद्र व संस्थाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय भागीदार नीदरलैंड की कुछ यूनिवर्सिटी व तकनीकी केंद्रों ने मिलकर कवायद शुरू की है। जिसकी तीन दिवसीय कार्यशाला बुधवार को केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र करनाल (सीएसएसआरआई) में शुरू हुई।
डॉ. डी. नागेश कुमार ने परियोजनाओं की गतिविधियों की जानकारी दी। बताया कि कई छात्र इस परियोजना में अपने पीएचडी का अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर चर्चा करते हुए डच पार्टनर प्रो. जोस वान डैम ने गतिविधियों के साथ-साथ विशेष रूप से गन्ने की खेती में प्रभावी जल प्रबंधन के लिए इरीवॉच डेटा-बेस के उपयोग के बारे में से बताया।