जालंधर : इस बार भले ही दीवाली का पर्व दो दिन, 20 और 21 अक्तूबर को परंपरागत श्रद्धा से मनाया गया, लेकिन शहर के पटाखा कारोबारियों के लिए यह सीजन बेहद निराशाजनक रहा। दीवाली बीत जाने के बाद भी अधिकांश पटाखा व्यापारियों के पास भारी मात्रा में स्टॉक बचा हुआ है, जिसे अब पूरे साल तक संभालकर रखना पड़ेगा। पिछले 2 महीनों के दौरान पटाखा कारोबारियों को अफसरशाही की खींचतान और सरकारी विभागों की लापरवाही के चलते तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्पोर्ट्स हब के निर्माण के कारण बर्ल्टन पार्क ग्राऊंड का पटाखा मार्कीट के रूप में इस्तेमाल बंद कर दिए जाने के बाद जब व्यापारियों ने नई जगह मांगी तो प्रशासन के हाथ खड़े हो गए। जो भी जगहें सुझाई गईं, उन पर कोई न कोई अड़चन आती रही। कुछ स्थानों के लिए नोटिफिकेशन जारी हुए, जिन्हें बाद में वापस भी लेना पड़ा।

इस पूरे घटनाक्रम में पटाखा कारोबारी भी दो गुटों में बंटे नजर आए और प्रशासनिक स्तर पर भी भ्रम की स्थिति बनी रही। दीवाली से चंद दिन पहले ड्रॉ निकाल तो दिया गया परंतु स्थान फाइनल न होने के कारण पुलिस लाइसेंस जारी नहीं कर सकी। परिणामस्वरूप कुछ पटाखा कारोबारी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की शरण में चले गए, तो कुछ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के दरबार में मामला पहुंचा दिया।

अंततः सैंट्रल विधानसभा हलका इंचार्ज नितिन कोहली के हस्तक्षेप से पुलिस प्रशासन पर दबाव बनवाकर लाइसैंस जारी करवाए गए, जो कारोबारियों को 17 अक्तूबर की देर रात जारी हुए। उस रात कारोबारियों ने अपने काउंटर, सामान और स्टॉक को नई पटाखा मार्कीट में शिफ्ट किया और 18 अक्तूबर दोपहर तक दुकानें खोलनी शुरू कीं। जल्दबाजी में अधिकांश व्यापारियों ने अपने लाइसैंस की शर्तें ठीक से पढ़ी भी नहीं, जिनमें स्पष्ट लिखा था कि पटाखों की बिक्री 20 अक्टूबर शाम 7.30 बजे तक ही की जा सकती है। चूंकि इस बार धार्मिक परंपराओं के चलते 20 के साथ-साथ 21 अक्तूबर को भी दीवाली का पर्व मनाया गया। इस संबंध में वैष्णो देवी दरबार से भी 21 को ही दीवाली मनाने की घोषणा हुई। 21 को बंदीछोड दिवस भी मनाया गया। इस कारण अधिकांश पटाखा व्यापारियों ने 21 अक्तूबर को भी दुकानें खुली रखीं, क्योंकि उस दिन भी बाजार में ग्राहकों की अच्छी-खासी आवाजाही रही।

अब जालंधर पुलिस कमिश्नरेट की आर्म्स लाइसेंसिंग ब्रांच ने सभी पटाखा विक्रेताओं को नोटिस जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि कारोबारियों को पटाखे बेचने के लिए अस्थायी लाइसेंस केवल 20 अक्तूबर शाम 7.30 बजे तक का दिया गया था, लेकिन उन्होंने उस समय सीमा के बाद भी बिक्री जारी रखी और 21 अक्तूबर को भी दुकानें खुली रखीं, जो लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है। सहायक पुलिस कमिश्नर अमरनाथ के हस्ताक्षर वाले इन नोटिसों में यह भी उल्लेख है कि कारोबारियों पर एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत कार्रवाई बनती है। उन्हें 2 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया है, अन्यथा यह माना जाएगा कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है और फिर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

12-13 लाख की आबादी वाले शहर में 2 दिन में कैसे बिकेंगे पटाखे?

शहर के पटाखा कारोबारी पहले ही जालंधर पुलिस की कार्यशैली से नाराज थे, पर अब नोटिस मिलने के बाद उनमें आक्रोश की लहर फैल गई है। कारोबारियों के यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि जालंधर की आबादी लगभग 12 से 13 लाख है और जब उन्हें 17-18 अक्तूबर को लाइसैंस जारी हुआ तो दो-तीन दिन में सारा माल कैसे बेचा जा सकता था? पुलिस को खुद मालूम था कि जगह तय करने में कई सप्ताह निकल गए, ऐसे में कारोबारियों को कम से कम चार-पांच दिन का समय तो मिलना ही चाहिए था।

हाईकोर्ट में जाएगा मामला, पुलिस कमिश्नर से भी मिलेंगे व्यापारी

पटाखा कारोबार से जुड़े सर्कल और शहर के व्यापारिक समुदाय में पुलिस के इस कदम को लेकर गुस्से की लहर है। कुछ व्यापारी अब इस मुद्दे को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं कुछ प्रतिनिधि वीरवार को पुलिस कमिश्नर धनप्रीत कौर से मिलकर पूरे मामले की जानकारी और व्यापारिक मजबूरियां साझा करेंगे। पता चला है कि यूनियन ने मामले को अपने वकील को सौंप दिया है, जो 19 अक्तूबर को हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाएंगे।

के.डी. भंडारी ने डीजीपी को लगाई जालंधर पुलिस की शिकायत

जालंधर कमिश्नरेट पुलिस द्वारा व्यापारियों को नोटिस जारी करने की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई। मामला जब भाजपा के पूर्व विधायक के.डी. भंडारी के ध्यान में लाया गया तो उन्होंने सीधे डी.जी.पी. गौरव यादव को फोन कर जालंधर पुलिस के असहयोगात्मक रवैये की शिकायत की। भंडारी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को कानून-व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए, न कि त्यौहारों के दिन कारोबारियों के पीछे पड़ जाना चाहिए। अगर धार्मिक मान्यताओं के तहत 21 अक्तूबर को दीवाली मनाई जा रही थी तो उस दिन दुकानें खुली रखने में पुलिस को क्या दिक्कत थी?

सूत्रों के अनुसार डी.जी.पी. के हस्तक्षेप के बाद जालंधर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भंडारी को व्हाट्सएप कॉल कर वीरवार दोपहर अपने कार्यालय बुलाया है और कहा कि नोटिस वापस लिए जाएंगे तथा मामले को अधिक न बढ़ाया जाए। बताया जा रहा है कि भंडारी और पटाखा व्यापारियों ने तय किया है कि वे अपना कोई स्पष्टीकरण नहीं देंगे और पुलिस को ही नोटिस वापस लेने होंगे। अब देखना यह है कि इस विवाद में कौन यू-टर्न लेता है, पुलिस या पटाखा व्यापारी?

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